पांच हजार के लिए चक्कर में फंस गया नगर निगम का कनिष्ठ लिपिक, रंगे हाथ दबोचा गया
आगरा नगर निगम का कनिष्ठ लिपिक नामांतरण के लिए पांच हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था। भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने उसे रंगे हाथ दबोचने के लिए जाल बनाया, जिसमें वो बड़ी ही आसानी से फंस गया।
आगरा नगर निगम में भ्रष्टाचार का एक और मामला सोमवार को सामने आया। भ्रष्टाचार निवारण संगठन आगरा इकाई ने आवास विकास काॅलोनी के सेक्टर 9 स्थित जोनल ऑफिस में जाल बिछाकर कनिष्ठ लिपिक अमित शर्मा को 5000 रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया। नाम सही कराने के लिए रुपये मांगे थे। मामले में केस दर्ज कराया गया। एक माह पहले नगर निगम की राजस्व निरीक्षक शिप्रा गुप्ता को दलाल के साथ गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने भी रिश्वत की मांग की थी।
भ्रष्टाचार निवारण संगठन आगरा इकाई के निरीक्षक संजय कुमार ने बताया कि आवास विकास काॅलोनी सेक्टर-7 के शिकायतकर्ता सजल बंसल ने पत्नी के नाम पर एक मकान खरीदा था। उसका नामांतरण होना था। ऑनलाइन आवेदन किया। उन्होंने आनलाइन फीस के रूप में 10650 रुपये जमा किए मगर, रसीद में पुराने मालिक का ही नाम अंकित हो गया। इस पर वह जोनल ऑफिस में नामांतरण के लिए पहुंचे। अशोक नगर निवासी अमित शर्मा कार्यालय में कनिष्ठ लिपिक हैं। उनसे नाम सही कराने के लिए बात की। लिपिक ने 5000 रुपये रिश्वत मांगा।
सजल बंसल का कहना था कि उनकी शिकायत सही थी। प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद टीम ने जाल बिछाया। सोमवार को लिपिक ने सजल बंसल को अपने कार्यालय में बुलाया। सजल से जैसे ही लिपिक ने रिश्वत की रकम ली, टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया। उसे भ्रष्टाचार निवारण संगठन कार्यालय लेकर आई।
भ्रष्टाचार के खिलाफ 38 दिन में दूसरी कार्रवाई
नगर निगम में किसी कर्मचारी के रिश्वत लेते पकड़े जाने का यह 38 दिन में दूसरा मामला है। इससे पूर्व नगर निगम की राजस्व निरीक्षक शिप्रा गुप्ता ने एक व्यापारी से रिश्वत मांगी थी। शिकायत पर कार्रवाई की गई थी। राजस्व निरीक्षक शिप्रा गुप्ता और दलाल सुभाष सिंह को पकड़ लिया गया था। दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। जेल भेज दिया गया था। जोनल ऑफिस में एंटी करप्शन की कार्रवाई से हड़कंप मच गया। कर्मचारी के पकड़े जाने की जानकारी पर अन्य कर्मचारी सीट छोड़कर चले गए। पूरे दिन इसी प्रकरण की चर्चा होती रही।