मेरठ_मेरठ तटबंध के साथ सपने भी टूटे... हरिद्वार से छोड़े गए पानी ने मेरठ में मचाई तबाही, 50 लोगों को बचाया गया
सोमवार को हरिद्वार से छोड़े गए 3.88 लाख क्यूसेक पानी ने खादर इलाके में तबाही मचा दी. बाढ़ का दंश झेल रहे खादर के गांवों में पानी घुस गया है। फसलें जलमग्न हो गईं। पानी घरों में घुस गया है. जलस्तर बढ़ने की आशंका से लोग रात जागकर गुजार रहे हैं।
वर्ष 2010 की बाढ़ के बाद वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान गंगा का जल स्तर पांच लाख 17 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया था, जिसके कारण तट से 10 किलोमीटर तक पानी ही पानी नजर आ रहा था. अब लगभग 10 साल बाद सोमवार को 3.88 लाख क्यूसेक पानी था। इसके कारण तटबंध बह गये। बाढ़ प्रभावित गांवों से संपर्क टूट गया है। हालांकि बुधवार की दोपहर जलस्तर में कुछ कमी हुई।
फिलहाल हरिद्वार से 1.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि बिजनौर बैराज से 1.85 लाख क्यूसेक पानी गंगा में डिस्चार्ज किया जा रहा है. लोग छतों पर रात बिता रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या जानवरों और पशुपालकों के लिए है, जहां चारा और भूसा की समस्या हो गयी है.
प्रशासन अलर्ट, SDRF-PAC तैनात
एडीएम वित्त एवं राजस्व सूर्यकांत त्रिपाठी और एसडीएम मवाना अखिलेश यादव का कहना है कि गंगा किनारे स्थित गांवों में मुनादी कराकर लोगों को सचेत कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित खादर में एसडीआरएफ और पीएसी बाढ़ बल तैनात है।
इन गांवों में हालात बुरे हैं
भागोपुर, दबखेड़ी, चमरोड़, मानपुर, हरीपुर, फतहपुर प्रेम, रठौरा कला, हंसापुर, परसापुर, सिरजेपुर, हादीपुर, गांवड़ी, किशनपुर दूधली आदि गांवों में हालात ज्यादा खराब हैं। भीगने के कारण अनाज खाने का खतरा बना हुआ है। किशोरपुर से जलालपुर जोरा पथ क्षतिग्रस्त है.
हस्तिनापुर से 50 लोगों को सुरक्षित निकाला गया
एसडीआरएफ के जवानों ने मोटरबोट के जरिए खेड़ी कला गांव से लोगों को बचाया. एसडीएम मवाना अखिलेश यादव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से इच्छुक लोगों को मोटरबोट से बाहर निकाला जा रहा है।