वैवाहिक विवादों का समाधान केवल कानून से नहीं बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए: दिव्या कौशिक मारवाह
- मेवाड़ में विद्यार्थियों के लिए विशेष अतिथि व्याख्यान आयोजित
गाजियाबाद। दिल्ली हाईकोर्ट की सीनियर वकील दिव्या कौशिक मारवाह ने कहा कि वैवाहिक विवादों का समाधान केवल कानूनी दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में आयोजित एक विशेष अतिथि व्याख्यान में उन्होंने यह बात कही। अतिथि व्याख्यान विधि विभाग ने आयोजित किया था। जिसका विषय ‘वैवाहिक विवाद और समाधान’ था।
कानून की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को वैवाहिक विवाद और उनके समाधान के विभिन्न कानूनी पहलुओं को अनेक उदाहरणों के जरिये समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे और किन कानूनी प्रक्रियाओं को अपनाकर इनका समाधान किया जा सकता है। उन्होंने उन प्रक्रियाओं के महत्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अनेक केस स्टडीज का हवाला भी दिया ताकि इस गंभीर विषय को विद्यार्थी आसानी से समझ सकें। अंत में उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर भी दिये। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने बताया कि समय-समय पर इस प्रकार के अतिथि व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए मेवाड़ आयोजित करता रहता है ताकि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के अलावा कानून की व्यवहारिक जानकारियों से परिपक्व हो सके।