पीडब्ल्यूडी कांड से चर्चा में आया माफिया... हमले में विनोद के दो साथियों की कर दी गई थी हत्या

Update: 2024-01-06 07:31 GMT

माफिया विनोद उपाध्याय पीडब्ल्यूडी कांड से चर्चा में आया था। इस हमले में विनोद के दो साथियों की हत्या कर दी गई थी। बाद में माफिया ने लालबहादुर की हत्या कर विनोद ने बदला लिया था। 

2007 तक विनोद पर नौ केस दर्ज हो चुके थे। कई बार जेल जा चुका था। 2007 में पीडब्ल्यूडी ऑफिस के पास ही विनोद उपाध्याय के गिरोह पर लालबहादुर ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। विनोद गैंग के लोगों को पिस्टल निकालने तक का वक्त न मिला। गोलियां गाड़ियों को भेदती हुई शरीर में घुसने लगीं। 

 विनोद उपाध्याय का करीब धनंजय तिवारी, लालबहादुर से खार खाए हुए था। पता चला कि तारामंडल स्थित निर्माणाधीन चिड़ियाघर में मिट्टी भरने का ठेका धनंजय तिवारी ने लिया था। इसको लेकर लालबहादुर से उसकी कहासुनी भी हुई थी। बताते हैं कि लालबहादुर ने एक बार अकेला पाकर धनंजय को पीट दिया था।

वह रिंकू से रंगदारी मांग रहा था, जिसके चलते उसने लालबहादुर की हत्या की योजना बनाई। साल 2014 में पूर्व उप ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख लाल बहादुर यादव की हत्या हो गई। मर्डर की साजिश गैंगस्टर विनोद उपाध्याय गैंग ने रची थी।

विनोद उपाध्याय गैंग अपने दुश्मन सुजीत चौरसिया को मारने के लिए हमले करने की तैयारी में लगा था, लेकिन इसके कुछ दिनों बाद पुलिस ने इस मामले में विनोद समेत उसके 6 साथियों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था। कुल 11 लोगों ने मिलकर लालबहादुर यादव की हत्या की थी।

वहीं रेलवे के ठेकों के अलावा विनोद एफसीआई का भी ठेका लेता था। एकबार ठेके को लेकर ही एक हिंदू नेता से विवाद हो गया। विनोद और उनके लोग दिन में दो बजे नेता को उठा ले आए। उन्हें गोरखपुर शहर के अंदर विजय चौराहे से गणेश होटल तक पीटते हुए ले गए। नेता छोड़ देने की विनती कर रहे थे, लेकिन पीटने वालों को तरस नहीं आई। बाद में मामला दर्ज हुआ पर कार्रवाई नहीं हुई।

गोरखपुर के पार्षद की लखनऊ में कराई थी हत्या

7 मार्च 2007 को गोरखपुर के तिवारीपुर से सपा पार्षद अफजल फैजी की लखनऊ के हजरतगंज श्रीराम टाॅवर्स के पास हत्या कर दी गई थी। पार्षद फैजी की हत्या में भी विनोद उपाध्याय का नाम आया। इस मामले में एक तरफ पुलिस जांच चल रही थी तो दूसरी तरफ विनोद अपराध दर अपराध करते जा रहा था।

इस दौरान विनोद ने विवादित जमीनों को जबरन हथियाना शुरू कर दिया। कई जमीनें अपने और अपने लोगों के नाम करवा ली। दूसरे गैंग में क्या चल रहा, इसे पता करने के लिए विनोद ने बड़ी चालाकी से उसमें अपने लोगों की इंट्री करवा दी।

माफिया विनोद पर दर्ज थे 39 केस

पुलिस रिकाॅर्ड के मुताबिक, विनोद उपाध्याय पर गोरखनाथ, शाहपुर, कैंट, कोतवाली, संतकबीरनगर के बखिरा आदि थानों में 39 केस दर्ज थे। हालांकि इनमें कुछ मामलों में वह बरी हो चुका था। 1998 में विनोद पर पहला मुकदमा हत्या के प्रयास का दर्ज हुआ था। इसके बाद से उस पर हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा, साजिश, मारपीट, हमला, गैंगस्टर एक्ट, आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुए थे।

माफिया विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने किया ढेर

आपको बता दें कि गोरखपुर व बस्ती मंडल में आतंक का पर्याय बने माफिया विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया। सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के हनुमानगंज में बाईपास के पास शुक्रवार तड़के साढ़े तीन बजे एसटीएफ से बचने के लिए उसने फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। विनोद प्रदेश के टॉप-61 माफिया की सूची में शामिल था, उसके पास से कारबाइन, पिस्टल, कारतूस व कार बरामद हुई है।

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