लोकसभा चुनाव: मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह को एनडीए से लड़ाना चाहते हैं राजभर, बीजेपी ने दी सख्त प्रतिक्रिया

Update: 2023-11-25 06:28 GMT

लोकसभा चुनाव में सुभासपा गाजीपुर लोकसभा सीट से माफिया बृजेश सिंह को प्रत्याशी बना सकती है। पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहमति मिली तो बृजेश उनकी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। उनके इस बयान के बाद बीजेपी की तरफ से प्रतिक्रिया आई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि भाजपा में किस सीट से कौन चुनाव लड़ेगा इसका निर्णय पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा। बोर्ड के निर्णय के बाद ही आगे की कार्यवाही होगी। कोई एक व्यक्ति टिकट का फैसला नहीं लेता।

राजभर ने  फोन पर बातचीत में कहा कि बृजेश की भाजपा के नेताओं से टिकट को लेकर बात चल रही है। यदि सहमति बन गई तो बृजेश गाजीपुर से सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। बता दें, सरकार की ओर से पिछले दिनों माफिया की जारी सूची में बृजेश का भी नाम दर्ज है।


मुख्तार के बाद अब बृजेश

सुभासपा ने विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के साथ गठबंधन के बाद माफिया मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को मऊ से चुनाव लड़ाया था। सपा से गठबंधन टूटने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि सपा के कहने पर उन्होंने अब्बास को टिकट दिया। अब लोकसभा चुनाव में राजभर मुख्तार के सबसे बड़े दुश्मन बृजेश सिंह को गाजीपुर से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं। गाजीपुर से माफिया मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी सांसद थे। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट से चुनाव लड़कर भाजपा के मनोज सिन्हा को हराया था। लेकिन अफजाल को सजा होने से उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है। गाजीपुर में उप चुनाव नहीं हुआ है। इस सीट को भी मुख्तार का गढ़ माना जाता है।

इसलिए बनी संभावना

दरअसल, बृजेश सिकरारा नरसंहार कांड में हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से दोषमुक्त हुए हैं। बरी होने के बाद उनके चुनाव लड़ने की दावेदारी को बल मिला है। बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्र की वाराणसी-भदोही-चंदौली सीट से निर्दलीय सदस्य हैं।

धनंजय सिंह पर नहीं बनी थी सहमति

विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने जौनपुर से बाहुबली धनंजय सिंह को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी सहमति नहीं दी थी।

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