क्या यूपी से राहुल गांधी की टीम की विदाई हो रही?

Update: 2023-08-25 09:59 GMT

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अजय राय के उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के कई राजनीतिक मायने लगाये जा रहे हैं. अजय राय ने बृजलाल खाबरी का स्थान लिया है, जिन्हें यूपी विधानसभा चुनाव के बाद और निकाय चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। खबरी प्रियंका गांधी के खेमे के माने जाते हैं. ऐसे में खबरी की जगह अजय राय की नियुक्ति से यह संदेश समझ आ रहा है कि यूपी कांग्रेस में प्रियंका गांधी का दबदबा कुछ कमजोर होगा. कई लोगों का मानना है कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अजय राय की एंट्री से राज्य की राजनीति में प्रियंका गांधी का प्रभाव खत्म हो सकता है और पार्टी में बड़े बदलाव हो सकते हैं। अगर साल 2022 के विधानसभा चुनाव को याद करें तो इसके लिए प्रियंका गांधी ने राज्य में कांग्रेस के लिए जमकर प्रचार किया था. पार्टी की महासचिव होने के साथ ही उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया था. तमाम कोशिशों के बावजूद वह कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो सीटें ही जिता सकीं. उसके बाद से वह लगातार राज्य की राजनीति से गायब रहीं। खबरी प्रियंका के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी के बाद भी पार्टी मुख्यालय में प्रियंका गांधी का दबदबा बरकरार रहा, लेकिन अब महज 10 महीने में खबरी को हटाकर अजय राय को प्रदेश की कमान सौंपने के पीछे बदलावों की लंबी शृंखला सुनाई दे रही है. कांग्रेस में. माना जा रहा है कि यह टीम प्रियंका की यूपी से विदाई की प्रस्तावना है.

हालांकि यूपीसीसी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अजय राय के नाम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की सहमति से मंजूरी दी थी. , जाहिर सी बात है कि रॉय को पार्टी के भीतर से जिस किसी का भी समर्थन मिला होगा वह उनके साथ मंच पर नजर आएगा.

कहा जाता है कि पूर्व अध्यक्षों अजय राय, बृजलाल खाबरी और अजय कुमार लल्लू को पार्टी के अंदर अपने फैसले लेने की आजादी नहीं थी. यही कारण था कि आलाकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई दिग्गज नेताओं से संपर्क किया लेकिन ज्यादातर ने इनकार कर दिया. अब इस मामले में अजय राय अपवाद हो सकते हैं क्योंकि वह कांग्रेस में एक मजबूत, आक्रामक और भूमिहार नेता के रूप में जाने जाते हैं.

एक नेता का कहना है कि अजय राय दिग्विजय सिंह की पसंद हैं और उनकी कार्यशैली राहुल गांधी के बेहद करीब है. ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले अजय राय को प्रदेश में एक मजबूत टीम बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए.

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