इंदिरापुरम पुलिस ने दो अन्तरराज्यीय अपराधियों को किया गिरफ्तार, 46 लाख से अधिक की बेस कीमती घड़ियां बरामद

Update: 2024-08-29 12:17 GMT

सोनू सिंह

गाजियाबाद। गाजियाबाद क्राइम ब्रांच पुलिस और स्वाट टीम ट्रांस हिंडन जोन इंदिरापुरम पुलिस ने दो अंतरराज्यीय अपराधियों को गिरफ्तार किया है। बीते दिनों थाना इंदिरापुरम क्षेत्र के साइ क्रिएशन घड़ी की शोरूम में 3 करोड़ की घड़ियों को चोरी कर फरार हो गए थे जो कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। इसके बाद गाजियाबाद इंदिरापुरम पुलिस ने दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है जिनके कब्जे से 46 लाख 36 हजार रुपए की बेस कीमती घड़ियां बरामद की गई हैं।

पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि मूल रूप से घोड़ा सेन बिहार के रहने वाले हैं। वे घोड़ा सेन गांव में ठेले पर मुर्गा मछली फ्राई कर बेचने का काम किया करते थे। इसमें ज्यादा मुनाफा नहीं होने के कारण वह अपराध में लिफ्ट हो गए। इसके बाद अपराध की दुनिया में इन्होंने कदम रखा। चोरों की कई गिरोह चलते हैं, जो देश के विभिन्न राज्यों में भी चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया करते हैं। इन्हीं गिरोहों में से सिराज के गिरोह से संपर्क होने पर संतोष उनके साथ काम करने लगा। पूर्व में सिराज के गैंग के साथ उत्तराखंड राज्य में ज्वालापुर हरिद्वार में मोबाइल के शोरूम में चादर लगाकर शटर उखाड़कर मोबाइलों की चोरी की थी जिसमें उनके गिरोह के नौ सदस्य गिरफ्तार हुए थे। जिसमें संतोष उपरोक्त प्राप्त था तथा उसकी गिरफ्तारी के लिए ₹100000 का पुरस्कार भी रखा गया था।

जेल से छूटने के बाद इन लोगों ने दोबारा से गिरोह बनाया जिसमें घोड़ा सेन के संतोष, रोहित पासवान, सिराज, जितेंद्र उर्फ जतिन, साहनी, रोशन, राहुल पासवान, सीतामढ़ी का जतिन पासवान, नेपाल के सचिन प्रमोद और आसामी उर्फ संतोष शामिल है। इन सभी के साथ मिलकर देश के विभिन्न-विभिन्न राज्यों में चादर लगाकर चोरी की वारदात को अंजाम दिया करते थे। इन्हें चादर गैंग भी कहा जाता है। पुलिस के पूछताछ में दोनों आरोपी ने बताया कि हम लोगों का शोरूम के बाहर चादर लगाकर शटर उखाड़ कर चोरी करने का गिरोह है जो पूरे देश में विभिन्न विभिन्न राज्यों में चोरी की वारदात को अंजाम देता है। उनके सभी सदस्य मिलकर इस चोरी की घटना को अंजाम दिया करते हैं। दो लोग शटर के अंदर जाकर अपने बैग ले जाकर चोरी करते है। बाकी के सदस्य शोरूम के बाहर खड़े होकर चादर लगा दिया करते थे ताकि किसी को इसकी भनक तक ना लग सके।

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