पावस काव्य गोष्ठी में कवियों ने सावन की फुहारों से सराबोर कविताएं सुनाकर गर्मी में शीतलता का अहसास कराया

Update: 2024-07-29 08:37 GMT

अखिल भारतीय साहित्य परिषद और देवप्रभा प्रकाशन की पावस काव्य गोष्ठी आयोजित

गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर इकाई गाजियाबाद और देवप्रभा प्रकाशन की संयुक्त रूप से राजनगर एक्सटेंशन स्थित एससीसी सिग्नेचर होम्स हाउसिंग सोसायटी के क्लब में आयोजित पावस काव्य गोष्ठी में दो दर्जन से अधिक कवियों ने सावन की फुहारों से सराबोर कविताएं सुनाकर गर्मी में शीतलता का अहसास कराया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई की अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. रमा सिंह ने काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता की। वरिष्ठ कवि डाक्टर राकेश सक्सेना, मशहूर शायर मासूम गाजियाबादी, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डाक्टर सुनीता सक्सेना, वरिष्ठ कवि राजीव सिंघल व इकाई के मुख्य संरक्षक रवि कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

सफल संचालन कवयित्री गरिमा आर्य ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित और पुष्प अर्पित कर हुआ। कवयित्री ज्योति किरण राठौर ने सरस्वती वंदना 'जय जय शारदे' प्रस्तुत की। कवयित्री सीमा सागर शर्मा की रचना 'लगे जब कम प्यार मेरा तो आँखों से बता देना' द्वारा काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ, जिसे श्रोताओं की खूब दाद मिली। कवि संजीव शर्मा ने अपनी गज़ल 'उनका अंदाज ये पुराना है से सभी को प्रभावित किया। कवि डॉ. नितिन गुप्ता ने अपनी रचना 'कभी परेशान था ज़ज्बात मेरे काबू नहीं होते' के जरिये श्रोताओं का प्यार पाया। कवयित्री सरिता गर्ग सरि ने अपनी रचना 'प्यार में तेरे तरसी है एक जिंदगी' प्रस्तुत की। कवि उमेश जी ने 'ये तलाश भी कुछ अजीब है कोई मिल गया कोई मिला नहीं' से श्रोताओं की तालियां बटोरीं। कवयित्री गार्गी कौशिक ने अपनी रचना 'कभी जो तुम थे अभी वो हम हैं, न तुम कुछ कम थे न हम कम हैं' की शानदार प्रस्तुति की, जिसे सभी ने खूब सराहा। कवि डॉ. कमलेश संजीदा ने 'मेरे अरमानों की अर्थी तूने कैसी जलाई है' प्रस्तुत की।

कवयित्री भावना अंकित त्यागी ने 'मिली खैरात की दौलत कभी न चाहिये मुझको' रचना द्वारा सभी को आकर्षित किया। कवयित्री शोभा सचान 'शबनमी रात है ख्वाहिशें सींच लूं' गीत द्वारा सभी का मन मोह लिया। कवि अजीत श्रीवास्तव ने अपनी गज़ल 'अगर दीप बनकर हमीं यूं न जलते,

उजाले न दिखते अंधेरे न हटते' से श्रोताओं से वाहवाही बटोरी। कवयित्री ज्योति किरण राठौर ने 'हो गया रंगीन मौसम इश्क का इजहार कर' से श्रोताओं का दिल जीता। कवयित्री कल्पना कौशिक ने शिवजी की स्तुति 'शिव तत्व रूपम' और 'गीत का भुलाया हुआ अंतरा हूं, हां मैं मंथरा हूं' द्वारा सभी का दिल जीत लिया।

डाक्टर सुधीर त्यागी ने 'वो जो लगती हिमाकत है उजालों की अलामत है' गज़ल से दाद बटोरी। कवयित्री तूलिका सेठ ने 'मेरे दर्दे दिल की दवा हो रहीं है' गज़ल द्वारा समां बांधा। कवि बीएल बत्रा अमित्र ने 'दर्द पुराना लिखता है' गीत से सभी का दिल जीत लिया। कवयित्री गरिमा आर्य ने 'राधा मुझको कर जाओ न' गीत से प्रेम का रस गोष्ठी में घोला। वरिष्ठ कवि राजीव सिंघल ने 'भीग गया मोरा तन मन अब घर जाने दे' द्वारा सावन के रंग बिखेरे। कवयित्री सुनीता सक्सेना ने 'मैं पावस की बदली हूं आवारा सी पगली हूं' से श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। वरिष्ठ कवि राजीव सक्सेना ने

'कदम कदम जाल बिछे हैं मधुरस पीना भूल गए' गीत के माध्यम से आज के संदर्भ मे एक सामाजिक संदेश दिया और सभी ने इसे खूब सराहा। देवप्रभा प्रकाशन के संचालक, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मेरठ प्रांत के महासचिव और वरिष्ठ कवि डाक्टर चेतन आनंद 'निकल बाहर निकल बाहर उजाले ही उजाले हैं, 'ले बस्ती है सियासत की लहां पर नाग काले हैं' गजल और अपने शानदार माहियों से गोष्ठी को एक अलग ऊंचाई प्रदान की।

उनकी रचनाओं को श्रोताओं का खूब प्यार मिला। रवि कुमार ने मुख़्तलिफ़ शायरों के नायाब शेर पढ़कर अपना संदेश सभी के बीच रखा। मशहूर शायर मासूम गाजियाबादी ने “इमारत इसलिए खामोश है कि पीठ पर खंजर लगा है, कारीगरी है किसी की और किसी के नाम का पत्थर लगा है' गज़ल द्वारा सभी की संवेदनाओं को झकझोर दिया। कवयित्री शैलजा सक्सेना शैली ने 'कभी प्यार निभाया कर कभी प्यार जताया कर' गीत से तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवयित्री डॉ. रमा सिंह ने 'सूरज जलावे अब तो चांद भी जलावे, पिया बिन कछु मोहे न भावे' और 'दिल की जमीन पर हम कुछ इस तरह से रोये' सरीखी रचनाओं से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम का संयोजन डा. चेतन आनंद, अजीत श्रीवास्तव और संजीव शर्मा ने किया।

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