1998 में कत्ल कर अपराध की दुनिया में रखा कदम...सिपाहियों की लूटी थी राइफलें; मुनुआ की पूरी कहानी
कन्नौज के छिबरामऊ में हिस्ट्रीशीटर की गोली लगने के बाद शहीद हुए सिपाही सचिन राठी का शव मंगलवार की दोपहर पुलिस लाइन लाया गया। उसके पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन में शोक सलामी के साथ जवानों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
कन्नौज के छिबरामऊ के जवानी की दहलीज पर पांव रखते ही मुनुआ यादव अपराध की ओर सक्रिय हो गया। व्यापारियों से रंगदारी वसूलने से लेकर उन पर रुतबा गालिब करना मुनुआ का शौक बन गया। रंगदारी न देेने पर वर्ष 1998 में गांव के रामसरोवर की हत्या कर उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था।
विशुनगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम धरनीधरपुर नगरिया निवासी मुनुआ यादव ने पांच सितंबर 1998 को रंगदारी न देने पर गांव के ही रामसरोवर की हत्या कर दी। इस हत्याकांड में अशोक यादव उर्फ मुनुआ के अलावा पारिवारिक भाई सुखवीर व सुरेंद्र जेल चले गए।
मुनुआ जब जेल में था तो भाई की हत्या का बदला लेने के लिए गांव के ही शिक्षक रामप्रकाश ने साथियों के साथ मिलकर उसके भाई अनिल की 17 अक्तूबर 1998 को हत्या कर दी थी। रामप्रकाश विशुनगढ़ के जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक थे। हत्या के बाद वह जेल चले गए और नौ माह बाद जमानत पर छूटकर बाहर आए।
मई 1999 में बहन गुड्डी की शादी में शामिल होने के लिए मनुआ, सुखवीर के साथ पैरोल पर आया। शादी के जश्न में उसने सिपाहियों को नशीला पदार्थ खिला दिया और उनकी राइफलें लूटकर फरार हो गया। फरारी के दौरान वर्ष 2000 में मुनुआ ने गांव के ही एक घर में फायरिंग कर चढ़ाई कर दी थी।
इस गोलीकांड में गांव के रक्षपाल, अवधेश व गुटकन घायल हुए थे। इसी साल उसने कुशलपुर गांव के अरविंद की हत्या कर दी। बाद में उसकी किशनी थाना क्षेत्र के उड़ैलापुर गांव में पुलिस से मुठभेड़ हुई, जिसमें रायफलें पुलिस को वापस मिल गईं जबकि मुनुआ फरार ही रहा।
वर्ष 2002 में मुनुआ ने भाई अनिल की हत्या का बदला शिक्षक रामप्रकाश की हत्या करके लिया था। इसके बाद वर्ष 2003 में उसे मथुरा की पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। जेल से छूटने के बाद जब वह गांव आता तो गैंग साथ लाता।
राइफल लूट का एक आरोपी 24 साल बाद भी है फरार
बहन की शादी में पैरोल पर आने के दौरान सिपाहियों को बेहोश कर राइफल लूटने का आरोपी सुखवीर 24 साल बीतने के बाद भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। वह अब कहां पर है, इसकी जानकारी नहीं है। दबी जुबां में ग्रामीणों का कहना है कि सुखवीर कभी-कभी गांव भी आता था।
भूख-प्यास से तड़पते रहे जानवर
हिस्ट्रीशीटर मुनुआ यादव, बेटे अभयराज यादव व पत्नी श्यामा देवी की गिरफ्तारी के बाद घर के गेट पर ताला लटक गया। मंगलवार को सुबह से ही बंद घर में बंधे जानवर भूख और प्यास के कारण तड़प कर चिल्लाते रहे लेकिन कोई भी ग्रामीण चाहकर भी इन बेजुबानों को चारा पानी नहीं दे सका। देर शाम जब एडीजी आलोक कुमार, आईजी प्रशांत कुमार व डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल मौके पर पहुंचे तब इन जानवरों को निकलवाकर प्रधान की सुपुर्दगी में दे दिया गया।
500 मतों से जीतकर पत्नी को बनाया था प्रधान
वर्ष 2014 में जेल से छूटकर हिस्ट्रीशीटर अशोक यादव उर्फ मुनुआ ने पत्नी श्यामा देवी को प्रधानी का चुनाव लड़ाने की योजना बनाई। धरनीधरपुर नगरिया गांव में दीनपुर, कमलपुर, नगरिया व धीरपुर गांव भी लगते हैं। हालांकि वह घर पर नहीं रहता था। वर्ष 2015 में पत्नी श्यामा देवी ने प्रतिद्वंदी को 500 से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। हालांकि वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव में पत्नी फिर से प्रधान पद पर चुनाव लड़ी लेकिन वह 59 वोट से प्रतिद्वंदी गौरव यादव से हार गई थी।