विपरीत माहौल में भाजपा की फजीहत करा रहे माननीय

Update: 2024-06-10 05:28 GMT

सोनू सिंह

गाजियाबाद। 15 वर्षों तक वनवास काटकर प्रदेश में 2017 में आई भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधियों को न जाने क्या हो गया है। गाजियाबाद में जनप्रतिनिधि अपने ही सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली को नहीं पचा पा रहे हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधि अधिकारियों को लेकर मुखर हो रहे हैं और उनका विरोध सडकों पर दिखाई दे रहा है। एक तरह से वह अधिकारियों के नहीं बल्कि सत्ता के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं।

गाजियाबाद के जनप्रतिनिधियों का छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन जनता में सही संदेश नहीं दे रहा है। हर मुद्दे को जनप्रतिनिधि सार्वजनिक मंच पर लेकर आ रहे हैं जबकि बेहतर ये होना चाहिए कि यदि उन्हें किसी बात को लेकर आपत्ति हैं तो उसे सड़क पर न लाकर सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके अन्य मंत्रियों से साझा कर उसका समाधान करना चाहिए। हाल में ही साहिबाबाद क्षेत्र में भाजपा पार्षद का चाय की दुकान लगाने वाली एक महिला से विवाद हो गया था। पार्षद ने रात दो बजे महिला और उसके परिवार के साथ मारपीट की थी। इस मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। पुलिस ने महिला की शिकायत पर तत्काल रिपोर्ट दर्ज करते हुए आरोपी पार्षद को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। भाजपा पार्षद की गिरफ्तारी का मामला था तो तूल पकड़ना ही था। गिरफ्तारी के विरोध में कुछ पार्षद पुलिस कमिश्नर से मिलने की जिद पर अड़ गए और हापुड़ रोड पर धरने पर बैठकर जाम लगा दिया। मौके पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों ने समझाबुझा कर मामला शांत कराया लेकिन इसके बाद एक बार फिर पार्षदों ने पुलिस ऑफिस के बाहर धरना दे दिया और जमकर प्रदर्शन किया। वह एक बार फिर पुलिस कमिश्नर से मिलने की जिद पर अड़े रहे। बाद में पुलिस अधिकारियों से वार्ता होने के बाद वह वापस लौटे।

इस मामले में महापौर सुनीता दयाल ने हस्तक्षेप किया तो पार्षद शांत हो गए। यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि एक महिला पार्षद का किसी बात को लेकर जीडीए वीसी से विवाद हो गया। इसके बाद पार्षदों ने जीडीए परिसर में ही प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया। अब लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर का गनर को लेकर विवाद सामने आ गया है। इसको लेकर हर तरफ चचाओं का माहौल गर्म है। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है कि जब लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई और भाजपा की सीटें आधी से भी कम हो गई हैं। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा का जीत का अंतर कम हुआ है। इस स्थिति में जब भाजपा आलाकमान डैमेज कंट्रोल के प्रयास में जुटा है, ऐसे में इस तरह के विवाद जनता में गलत संदेश प्रसारित कर रहे हैं। इस समय जनप्रतिनिधियों को फूंक-फूंक कर कदम रखने की आवश्यकता है।

Tags:    

Similar News