हाई कोर्ट: बांकेबिहारी मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज करने पर HC सख्त, तहसीलदार को किया तलब
मथुरा में बांकेबिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन को पहले कब्रिस्तान और फिर पुरानी बस्ती के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने 17 अगस्त को तहसीलदार छाता को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया और पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड 1081 की स्थिति राजस्व अधिकारी द्वारा समय-समय पर क्यों बदली गई। यह आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.
याचिका पर वकील राघवेंद्र प्रसाद मिश्र ने बहस की. उनका कहना है कि गाटा संख्या 1081 प्राचीन काल से बांके बिहारी महाराज के नाम पर दर्ज है। 2004 में भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर उक्त भूमि को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज करा लिया.
जानकारी मिलने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की। मामला वक्फ बोर्ड तक गया और सात सदस्यीय टीम ने जांच की और पाया कि कब्रिस्तान का गलत तरीके से पंजीकरण कराया गया है। इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम दर्ज नहीं किया गया. इसी पर यह याचिका दायर की गयी है. कोर्ट ने 17 अगस्त को तहसीलदार छाता को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश जारी किया है।