आधी बसों में पार्किंग लाइट नहीं, खिड़कियों के शीशे भी टूटे..ठिठुरते यात्रा कर रहे लोग |
शासन की तरफ से सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा बेअसर साबित हो रहा है। कोहरा और ठंड बढ़ने के बाद भी बसों को दुरुस्त करने का काम कागजों में चल रहा है। मुरादाबाद जोन के 275 बसों में पार्किंग लाइट नहीं है। सबसे अधिक 58 लाइट पीतल नगरी और 45 लाइट मुरादाबाद की बसों में खराब है।
कोहरा बढ़ने के बाद भी परिवहन निगम ने बसों को मौसम के लिहाज से दुरूस्त नहीं किया है। मुरादाबाद जोन की 411 में से 275 बसों में पार्किंग लाइट की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा ऑल वेदर लाइट और वाइपर भी खराब हैं। ऐसे में चालकों को जहां कोहरे के दौरान बस संचालन में दिक्कत आती है, वहीं हादसे की आशंका भी बनी रहती है। सब कुछ जानकर भी अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। मुरादाबाद जोन में सभी डिपो की 411 रोडवेज बसों का संचालन होता है।
यूपी रोडवेज की हकीकत: आधी बसों में पार्किंग लाइट नहीं, खिड़कियों के शीशे भी टूटे..ठिठुरते यात्रा कर रहे लोग
शासन की तरफ से सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा बेअसर साबित हो रहा है। ठंड शुरू होने के एक महीने बीत गए। सुबह और रात में धुंध छाया रहता है। बसों को दुरुस्त करने का काम कागजों में चल रहा है। जोन के 275 बसों में पार्किंग लाइट नहीं है। सबसे अधिक 58 लाइट पीतल नगरी और 45 लाइट मुरादाबाद की बसों में नहीं है। बसों के खराब होने व आपातकालीन स्थिति में खड़ा करते समय चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा जोन की 125 बसों में ऑल वेदर लाइट नहीं है। जिसमें मुरादाबाद डिपो की 32 और पीतलनगरी डिपो की 22 बसें शामिल हैं। हर एक बस में दो लाइट के हिसाब से अभी भी 250 लाइट लगानी बाकी है। इन असुविधाओं के चलते जहां यात्रियों का सफर मुश्किल है, वहीं हादसों का खतरा भी बना हुआ है। जिससे यात्रियों के साथ चालक और परिचालक भी परेशान हैं।
पार्किंग लाइट का उपयोग
पार्किंग लाइट सभी वाहनों में लगी होती है। इसका उपयोग वाहनों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। यह वाहनों को आपातकालीन स्थिति में होने के बारे में जानकारी देती है। सड़क किनारे वाहनों को पार्क करते समय इसका उपयोग किया जाता है। ताकि पार्क किए गए वाहनों को आने वाले वाहन चालक देख सकें। पार्किंग लाइट वाहनों के चारों तरफ चमक पैदा करती है, ताकि वाहनों के साइज का पता लगाया जा सके।
55 बसों में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा नहीं
मुरादाबाद और पीतलनगरी डिपो की 55 बसों में फर्स्ट एड बॉक्स नहीं लगे हैं। ऐसे में किसी भी यात्री की तबीयत बिगड़ने पर उसे फर्स्ट एड की सुविधा नहीं मिलती है। इसका खामियाजा पीड़ित को भुगतना पड़ता है। चालकों के पीछे लगे स्टैंड पर फर्स्ट एड बॉक्स में पेट दर्द, सिर दर्द के टैबलेट, मरहम पट्टी आदि दवाइयां होती हैं। 20 बसों में शिकायत की पेटिका नहीं है। बस यात्रियों का कहना है कि शिकायत व सुझाव कोई कैसे दे, जब बसों में शिकायत पेटिका ही गायब है।
बसों के वाइपर और शीशे भी खराब
मुरादाबाद के दोनों डिपो की 22 बसों के शीशे टूटे हैं। बसों का वाइपर खराब है। यात्रियों को ठंड भरी रात में सफर करना पड़ता है। अधिकांश बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं है। यात्रियों के साथ चालक और परिचालक भी परेशान हैं। चालकों और परिचालकों का कहना है कि रास्ते में बस के खराब हो जाने पर वह खुद बस को बनाते हैं। बसों के बनवाने पर मिली रसीद को डिपो कार्यालय में जमा करने के बाद अधिकतर रसीद के पैसे भी नहीं मिलते हैं।
मुरादाबाद जोन की सभी बस की जांच कराई जाएगी। जिन बसों में कोई भी कमी है, उसे जल्द-जल्द सही करा दिया जाएगा। - परवेज खान, आरएम मुरादाबाद रीजन