जमीन गिरवी रख मासूम का इलाज कराने आए थे, मिली मौत; मां बोली- अपने लाल को भर पेट दूध भी न पिला सकी
लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई के ऑपरेशन थियेटर में आग लगने की दर्दनाक घटना हुई। इस घटना में 31 दिन के मासूम की मौत हो गई थी। मासूम के इलाज के लिए परिजन जमीन तक गिरवी रख दी थी।
लखनऊ में पीजीआई अग्निकांड में जिस 31 दिन के मासूम की मौत हुई, उसके इलाज के लिए परिजन ने जमीन तक गिरवी रख दी थी। आयुष्मान योजना के भी पैसे आ गए थे। ऐसे में लगा कि वह ठीक हो जाएगा, लेकिन बीमारी के बजाय हादसे में जान गंवा बैठा। आरोप है कि पीजीआई प्रशासन ने घटना के 24 घंटे बाद मासूम का शव सौंपा।
ओटी में सोमवार दोपहर लगी आग में पीलीभीत निवासी तैयबा और 31 दिन के मासूम की मौत हो गई थी। गाजीपुर निवासी उसके पिता बृजभूषण ने मंगलवार को आरोप लगाया कि हादसे के बाद उन्होंने बेटे का शव मांगा तो पीजीआई प्रशासन का कहना था कि मीडिया के लोग हैं, इसलिए अभी शव नहीं दे सकते। इसके बाद बृजभूषण व अन्य परिजन ने पीजीआई में ही फुटपाथ पर रात गुजारी। मंगलवार दोपहर पुलिस पहुंची।
करीब तीन बजे पीजीआई प्रशासन ने बच्चे का शव दिया। परिजन ने बताया कि बच्चे के दिल में छेद था। आजमगढ़ में उसका इलाज कराया। वहां से पीजीआई रेफर किया गया। पैसे कम पड़े तो एक लाख 10 हजार रुपये में जमीन गिरवी रखी। आयुष्मान योजना के तहत पैसे आ गए थे।
सोमवार सुबह करीब दस बजे उसे ओटी में ले जाया गया। पिता बोले, हम सभी बाहर इंतजार कर रहे थे कि कुछ देर में ऑपरेशन पूरा होने की जानकारी मिलेगी, लेकिन इसी दौरान आग लग गई। भगदड़ मची और फिर बेटे की मौत की खबर आई।
मां बोली- अपने लाल को भर पेट दूध भी नहीं पिला सकी
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इंडोक्रान विभाग के आपरेशन थिएटर (ओटी) में लगी आग के चलते धुएं से करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र के सद्दोपुर गांव निवासी बृजभूषण यादव के एक माह के पुत्र की सोमवार को मौत हो गई थी। परिजनों के रोने- बिलखने से गांव में चीख-पुकार मच गई।
मंगलवार को क्षेत्रीय लेखपाल ने रिपोर्ट तैयार करने के बाद मुख्यमंत्री सहायता राशि के लिए रिपोर्ट तहसील के उच्चाधिकारियों को सौंप दी। बिलख रही मां की जुबान पर सिर्फ एक ही बात थी कि अभी तो अपने लाल को भर पेट दूध भी नहीं पिला सकी थी...। यह क्या हो गया मेरे लाल के साथ...। जिसे सुनकर वहां मौजूद लोगों का कलेजा फटा जा रहा था।
नवजात के दादा रामसुजान यादव ने बताया कि पुत्र वधू नेहा को बीते 16 नवंबर को प्रसव पीड़ा होने के बाद पास ही धर्मापुर स्थिति चिकित्सक के यहां ले जाया गया। जहां आपरेशन से बच्चा पैदा हुआ, लेकिन उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे उपचार के लिए बलिया स्थित डॉक्टर को दिखाया गया, लेकिन फायदा नहीं होने पर मऊ ले जाया गया। जहां चिकित्सक ने एसजीपीजीआई रेफर कर दिया। वहां ले जाने पर उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था।
पीजीआई अग्निकांड में सोनभद्र के किशोर की मौत, लापरवाही का आरोप
उधर, लखनऊ पीजीआई में सोमवार को अग्निकांड में राबर्ट्सगंज नगर निवासी किशोर की मौत हो गई। पिछले एक पखवाड़ा से वहां उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार को शव लेकर परिजन घर पहुंचे। किशोर की मौत से माता-पिता और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
वार्ड नंबर 10 घुवास मोहाल निवासी संतोष पांडेय के पुत्र गौरव (13) की तबीयत काफी दिनों से खराब थी। पेट में संक्रमण के कारण उसका उपचार बीएचयू में कराया जा रहा था, जहां से उसे एक पखवाड़ा पहले परिजनों ने पीजीआई में भर्ती कराया था। पिता संतोष पांडेय ने बताया कि सोमवार की दोपहर में अचानक पीजीआई के प्रथम तल पर स्थित ऑपरेशन थिएटर में लग गई, जिससे भगदड़ मच गई। ओटी के बगल के डायलिसिस यूनिट में उनका बेटा गौरव भर्ती था।
आग लगने के बाद पूरे वार्ड में धुंआ भर जाने से उन लोगों को बाहर निकाल दिया गया। काफी देर बाद ज़ब उनके बेटे को बाहर निकाल कर दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया तो डॉक्टरों ने उनके बेटे को देखते ही मृत घोषित कर दिया। उन्होंने पीजीआई प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि धुएं के कारण दम घुटने से उनके बेटे की मौत हो गई। मंगलवार को डिप्टी सीएमओ ने परिजनों से मिलकर उनका हाल जाना और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।