गुरुजी गौतम ऋषि ने यमुना तट पर "यमुना महाआरती" प्रारंभ करने को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन
नोएडा। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और अखिल भारतीय गुरुकुल एवं गौशाला अनुसंधान संस्थान के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुजी गौतम ऋषि ने 14 अक्टूबर (सोमवार) को केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. राजभूषण चौधरी, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ओखला पक्षी अभ्यारण्य के समीप में यमुना तट पर "यमुना महाआरती" प्रारंभ करने को लेकर ज्ञापन सौंपा।
गुरुजी ने केंद्रीय मंत्री को सनातन धर्म एवं भारतीय परंपरा में यमुना नदी के महत्व से अवगत कराते हुए अनुमति मांगी। ज्ञापन में यमुना महाआरती से होने वाले लाभ का उल्लेख किया है और युवाओं को सतमार्ग एवं धर्म के मार्ग पर लाने, उन्हें आध्यात्म से जोड़ने और अपनी परम्पराओं का सम्मान करने के लिए इसे अति महत्वपूर्ण बताया है।
गौतमबुद्ध नगर का गौरवशाली अतीत: गुरुजी
मीडिया से बातचीत के दौरान गुरुजी गौतम ऋषि जी ने कहा कि "यमुना आरती प्रारंभ होने से जनपद में ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश और देश में धर्म एवं सकारात्मकता का भाव बढ़ेगा। भारतीय परंपरा में प्राचीन काल से ही नदियों को पूज्यनीय माना गया है। और विशेष रूप से यमुना नदी का हमारे वेदों एवं ग्रंथों में भी उल्लेख है। यमुना आरती प्रारंभ होने से नोएडा और गौतमबुद्ध नगर को धर्म की नगरी के रूप में एक अलग पहचान मिलेगी। युवा जोकि धीरे-धीरे अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं से कटता जा रहा है, वह भी इससे जुड़ेगा और सतमार्ग पर चलेगा।" इतना ही नहीं गुरुजी ने बताया कि "गौतमबुद्ध नगर का अपना एक गौरवशाली अतीत रहा है। गौतमबुद्ध नगर सदैव ही धर्मार्थियों की भूमि रही है, ऐसे में गौतमबुद्ध नगर के नोएडा में यमुना आरती प्रारंभ होना हम सभी जनपद वासियों के लिए गर्व एवं गौरव की बात होगी।"
पूजा करने से बढ़ती है आस्था व सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है: गुरुजी गौतम ऋषि
गुरुजी गौतम ऋषि ने कहा कि "हम जिस चीज की आस्थापूर्वक पूजा करते हैं, स्वत: ही उसके प्रति एक पवित्र भाव मन में उत्पन्न होता है। यदि यमुना आरती प्रारंभ होगा तो इससे क्षेत्र के लोगों में यमुना मैया के प्रति आस्था बढ़ेगी और वो इसे साफ एवं पवित्र रखने का प्रयास करेंगे।"
भारतीय परंपरा एवं सनातन धर्म में यमुना का महत्व
उत्तर प्रदेश से होकर यात्रा करने वाली यमुना नदी हम सनातनियों के लिए महज एक नदी नहीं बल्कि हमारी समृद्ध सनातन संस्कृति एवं परंपरा का अभिन्न अंग है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना को सूर्य देव की पुत्री और मृत्यु के देवता यम की बहन माना जाता है। उसकी पौराणिक उत्पत्ति हिंदू संस्कृति में उसके महत्व को बढ़ाती है। इतना ही नहीं यमुना का सनातन संस्कृति में व्यापक आध्यात्मिक महत्व भी है, यमुना नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है। लाखों हिंदू इसकी पूजा करते हैं। यह नदी योगेश्वर श्री कृष्ण से बहुत निकटता से जुड़ी हुई है। यमुना नदी कई हिंदू अनुष्ठानों और समारोहों की पृष्ठभूमि है, देशभर से तीर्थ यात्री स्नान करने और आशीर्वाद लेने यमुना नदी के तट पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्योहार में सनातन धर्मावलंबियों के लिए यमुना नदी का विशेष महत्व है। इस मौके पर बिहार प्रदेश भाजपा आईटी सेल प्रभारी एवं युवा नेता रवि रौशन सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।