आर्य समाज लाजपत नगर के 35वें त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव का भव्य शुभारंभ
निकाली प्रभातफेरी,किया यज्ञ एवं ऋषि दयानंद यशोगान
परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव योनि- सुचिषद् मुनि
गाजियाबाद। आर्य समाज लाजपत नगर साहिबाबाद के 35 वें त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव का शुक्रवार को भव्य शुभारंभ प्रभात फेरी,यज्ञ एवं महर्षि दयानंद सरस्वती का यशोगाथा से किया गया।
प्रभातफेरी को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने ओ३म् ध्वज दिखाकर प्रारंभ किया। निकटवर्ती आर्य समाज के आर्य प्रतिनिधियों ने बढ़चढ़ भाग लिया। भगवा ध्वज लिए आर्य वीरों ने प्रभात फेरी में आर्य समाज अमर रहे,ऋषि दयानंद की जय के गगन भेदी नारों का गुंजार कर ऋषि द्वारा प्रतिपादित वेद मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
डा विष्णुदत्त आर्य के ब्रह्मत्व में यज्ञ किया गया। मुख्य यज्ञमान श्रीमती एवं श्री राम निवास शर्मा रहे। उन्होंने यज्ञमानों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखद एवं सफल जीवन की प्रार्थना प्रभु से की। स्थानीय पार्षद श्री प्रमोद राघव ने ओ३म ध्वजा फहरा कर समारोह को आरंभ किया।
मेरठ से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पण्डित कुलदीप आर्य एवं साथी कलाकारों ने साज बाज पर ईश भक्ति एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती का यशोगान गीतों के माध्यम से किया जिसे सुन कर श्रोता भाव विभोर हो गए।
मुख्य वक्ता शुचिषद् मुनि ने बताया कि मानव के शरीर में कुछ कार्य ऐसे हैं जो कार्य किसी भी अन्य शरीर में नहीं किये जा सकते जैसे सत्संग दुनिया का और कोई प्राणी नहीं कर सकता। यज्ञ सब कर सकते हैं जैसे गाय,वृक्ष,नदी या सांप सब यज्ञ कर सकते हैं लेकिन मनुष्य इतर प्राणी सत्संग नहीं कर सकते जैसी शब्द सुनने की शक्ति मनुष्य में है ऐसी अन्य प्राणी में नहीं है।अगर आपने शब्द सुनने सत्संग का कार्य नहीं किया तो परमात्मा आपको मनुष्य जन्म देने को बाध्य नहीं होंगे। परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव योनि है इसी से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है,इसलिए वाणी,पाणी और विचार का सदुपयोग कर अमरत्व को प्राप्त करें। समारोह में मास्टर विजेंद्र,श्याम सिंह,प्रमोद चौधरी,ओम पाल शास्त्री आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखे।