गाजियाबाद उपचुनाव: कांग्रेस के प्रदेश महासचिव डॉ. संजीव शर्मा टिकट की दौड़ में आगे, जानें और कौन-कौन हैं दावेदार

Update: 2024-08-17 07:03 GMT

सोनू सिंह

गाजियाबाद। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश महासचिव डॉ. संजीव शर्मा को मजबूत दावेदार बताया जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस की पूर्व लोकसभा प्रत्याशी डॉली शर्मा के पिता और पूर्व महानगर अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने भी संजीव शर्मा को टिकट का आशीर्वाद दे दिया है। इसके साथ ही यहां डॉली शर्मा के चुनाव मैदान में उतरने की अटकलों पर भी विराम लग गया है। गत लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों का तालमेल हुआ था। इसके तहत गाजियाबाद लोकसभा सहित प्रदेश की 17 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव लड़े थे जबकि बाकी बचीं 63 सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे।

सपा- कांग्रेस गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 43 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी और उसने भाजपा के अबकी बार चार सौ पार नारे की हवा ही निकाल दी थी। उप चुनाव को लेकर सपा-कांग्रेस गठबंधन में खासा उत्साह का आलम है तो हार से घबराई भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। हालांकि गाजियाबाद की सीट गठबंधन के तहत सपा या कांग्रेस किसकी झोली में जाएगी इसे लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है परंतु शहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का ही दावा ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।

गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट को लेकर जहां भारतीय जनता पार्टी में दावेदारों का पूरा सैलाब ही उमड़ पड़ा है। वहीं कांग्रेस-सपा में टिकट को लेकर ज्यादा मारा-मारी नजर नहीं आ रही। यहां केवल कुछ गिने-चुने नाम ही चर्चा में सुनाई दे रहे हैं। सपा की ओर से जहां पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार मुन्नी, अमर पाल शर्मा जैसे नाम सुर्खियों में हैं तो कांग्रेस से सुशांत सुरेंद्र प्रकाश गोयल, डॉ. संजीव शर्मा और संगीता त्यागी आदि के नाम चर्चाओं में हैं। डॉ. संजीव शर्मा की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है। कांग्रेस पार्टी की ओर से बार-बार अपने वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो दिए जाने की घोषणाएं भी की जाती रही हैं। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस पार्टी डॉ. संजीव शर्मा को ही उनकी वफादारी का इनाम देती है या फिर शहर सीट पर टिकट का सेहरा किसी और के सिर पर सजाती है?

गाजियाबाद को भारतीय जनता पार्टी का मजबूत किला कहा जाता है। भाजपा का मजबूत संगठन और इसके कर्मठ कार्यकर्ता गाजियाबाद में किसी भी चुनाव की वैतरणी को आसानी से पार कर लेने के लिए भी पहचाने जाते हैं। हाल ही के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद गाजियाबाद में भाजपा को टक्कर नहीं दी जा सकी थी। ऐसे में विपक्षी दल यदि भारतीय जनता पार्टी को गाजियाबाद में टक्कर देने की कोशिश में हैं तो उन्हें बेहद पुख्ता रणनीति बनाकर ही आगे बढ़ना होगा। इसके लिए उन्हें ना केवल अपने संगठन को धार देनी होगी बल्कि मजबूत प्रत्याशी का एलान भी समय से करना होगा। उम्मीदवार के नाम का एलान करने में जितनी देरी होगी भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।

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