सोनू सिंह
गाजियाबद। इंदिरापुरम योजना को लेकर जीडीए और गाजियाबाद नगर निगम आमने-सामने हैं। जीडीए इस योजना नगर निगम को देने का प्रयास कर रहा है लेकिन जीडीए का ये प्रयास आज तक पूरा नहीं हो सका है। मामले में ऐसा नहीं लगता। जीडीए साल 2009 में योजना को पूर्ण करने का प्रस्ताव पास कर चुका है। उसके बाद साल 2011 में नगर निगम को पहली बार हैंड ओवर के लिए पत्र भेजा था। उसके बाद सैकड़ों बार कोई असर नहीं हुआ।
वीसी अतुल वत्स की पहल पर एक बार फिर जीडीए सचिव की अध्यक्ष में कमेटी गठित की गई। कमेटी में नगर निगम के अधिकारी रखे गए और सर्वे कराया गया। विकास प्राधिकरण का काम योजना विकसित करना और नगर निगम का काम उन योजनाओं का रखरखाव करना होता है। जीडीए वीसी का कहना है कि योजना को हर हाल में दिसंबर, 2024 तक नगर निगम को हैंड ओवर करना है। निगम की डिमांड डिटेल नगर निगम ने जीडीए को जो डिमांड भेजी है उसकी डिटेल भी दी है। इंदिरापुरम योजना के पार्कों के लिए निगम ने 11 करोड़, स्ट्रीट लाइट के लिए 13.69 करोड़, जलकल सुविधाओं के लिए 50.07 करोड़, सीवरेज के लिए 31.07 करोड़, नाला-नाली निर्माण के लिए 88.89 करोड़ और सड़क के लिए 81.21 करोड़ रुपए की डिमांड की है।
निगम का कहना है कि इंदिरापुरम में नाले-नालियों का निर्माण कंक्रीट से करना होगा। जीडीए ने नाले का निर्माण ईंट से किया है। अधिकारियों का कहना है कि 180 करोड़ देने के लिए जीडीए तैयार है। अधिकारियों ने कहा कि अब मंडलायुक्त ही कोई हल निकालेंगी। दोनों विभाग मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली बैठक में पक्ष रखेंगे। बैठक में जो फैसला होगा। उसे जीडीए और नगर निगम दोनों मानेंगे।