Farmer Suicide: प्रियरंजन को बड़ी राहत, 28 तक पुलिसिया कार्रवाई पर रोक, पुलिस के गले की फांस बना सुसाइड नोट
कानपुर में किसान बाबू सिंह की आत्महत्या मामले में आरोपी पूर्व भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर को हाईकोर्ट से मिली राहत की समयसीमा बढ़ गई है। अब 28 नवंबर तक उसके खिलाफ किसी भी तरह की पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है। डॉ. प्रियरंजन ने हाईकोर्ट में एफआईआर और गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।
गुरुवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रियरंजन को एक दिन के लिए राहत दी थी। शुक्रवार को दोबारा सुनवाई हुई। सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई। प्रियरंजन की ओर से जवाब देने के लिए समय की मांग की गई। इस पर कोर्ट ने 28 नवंबर की तारीख नियत कर दी। साथ ही तब तक के लिए गुरुवार को दिए अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया है।
जितेंद्र ने प्रियरंजन व बब्लू पर फोड़ा ठीकरा
कानपुर में किसान बाबू सिंह के भतीजे जितेंद्र यादव उर्फ जितेंद्र सिंह को गुरुवार को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जितेंद्र की ओर से कोर्ट में जो तर्क रखे गए, उसमें सारा ठीका प्रियरंजन व बब्लू पर फोड़ा गया। राहुल जैन से इनकी साठगांठ बताकर खुद को पाक साफ बताने की कोशिश की गई और जितेंद्र को सफलता भी मिल गई।
राहुल जैन को हाईकोर्ट से मिल चुकी है जमानत
जितेंद्र की ओर से कोर्ट में तर्क रखा गया कि मुख्य आरोपी डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर और बब्लू हैं, जिन्होंने विवादित जमीन खरीदने वाले राहुल जैन के साथ साठगांठ की। राहुल जैन को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। पंजीकृत विक्रय पत्र को निरस्त कराने के लिए बाबू सिंह ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में 30 मई 2023 को दीवानी वाद भी दायर किया था।
मुकदमा ही आपराधिक षडयंत्र का है
घटना के दिन मौजूद घरवालों ने जितेंद्र के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा था। जितेंद्र की ओर से कहा गया कि उस पर सिर्फ षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है। वहीं सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि यह पूरा मुकदमा ही आपराधिक षडयंत्र का है। इसमें जितेंद्र ही मुख्य साजिशकर्ता है जिसने अपने चाचा को धोखे में रखकर विक्रय पत्र तैयार करवाया था। कोर्ट में दलीलों के अलावा जितेंद्र के खिलाफ कोई ऐसा ठोस सबूत पेश नहीं किया जा सका जिससे उसे अग्रिम जमानत पाने से रोका जा सके।
पुलिस के गले की फांस बना सुसाइड नोट
हाईकोर्ट से जमानत पाए राहुल जैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान एक बड़ा मामला सामने आया था। इसमें पुलिस की केस डायरी में लिखी लाइनें उसके गले की हड्डी बन गईं। केस डायरी में लिखा है कि मृतक बिना पढ़ा-लिखा वृद्ध और ग्रामीण व्यक्ति था। कुछ दिन की स्कूली शिक्षा से मात्र हस्ताक्षर बनाना सीख पाया है।
सुसाइड नोट ही पूरे मुकदमे का मुख्य आधार
इससे सवाल उठता है कि सुसाइड नोट कैसे लिख सकता है। सुसाइड नोट ही पूरे मुकदमे का मुख्य आधार है। अगर सुसाइड नोट ही संदेह पैदा करता है तो उसमें लिखे आरोपियों के नाम और रिपोर्ट भी संदेहजनक हो जाती है। राहुल को जमानत के बाद जितेंद्र को मिली अग्रिम जमानत और प्रियरंजन को मिली अंतरिम राहत में यह महत्वपूर्ण तथ्य है।