दलित और पिछड़ों को साध रहे संघ-भाजपा, वाल्मीकि, शबरी और निषाद राज के जरिए संदेश देने की कोशिश

Update: 2024-01-08 03:40 GMT

प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के जरिए बीजेपी दलित और पिछड़ों को साधने की कोशिश कर रही है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसे भुनाने की कोशिश होगी। 

 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा ने श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिये दलितों और पिछड़ों को साधने की तैयारी की है। 22 जनवरी को दलित और पिछड़े वर्ग की बस्तियों में भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों के आयोजन कराए जाएंगे। वहीं इन वर्गों के बीच संदेश देने की कोशिश है कि सामाजिक समरसता ही सर्वोपरि है। 

यूं तो राममंदिर निर्माण के शिलान्यास से लेकर अब तक के सफर में दलित वर्ग केंद्र में रहा है। राम मंदिर के शिलान्यास में पहली नींव बिहार के स्वयंसेवक कामेश्वर चौपाल ने रखी थी। कामेश्वर वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी हैं। श्रीराम मंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मीकि, माता शबरी और निषादराज का मंदिर बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने अयोध्या स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भी महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखकर नया आयाम गढ़ दिया है।

यह है तैयारी

आरएसएस ने सभी दलित और वाल्मीकि बस्तियों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने की तैयारी की है। सबके राम के संकल्प को साकार करने के लिए मंदिरों में जैन, बौद्ध, पारसी, हिन्दू, सिख सभी मत व संप्रदाय के लोगों को जोड़ा जा रहा है। खासतौर पर प्राण प्रतिष्ठा के दिन शाम को मंदिरों में पूजा आरती दलित व्यक्ति से कराने की योजना है। आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बताया कि दलितों और पिछड़ों को बताया जा रहा है कि महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट का नाम रखकर केंद्र सरकार ने बड़ा संदेश दिया है। बस्तियों में यह भी बताया जा रहा है कि राम को जन-जन के बीच पहुंचाने में महर्षि वाल्मीकि की रचित रामायण की ही सबसे बड़ी भूमिका है। वहीं पिछड़ों को बताया जा रहा है कि निषादराज केवट ने ही भगवान राम को नदी पार कराई थी, भगवान भी लंका विजय के बाद सबसे पहले केवट के यहां ही गए थे।

पहली बार घर पहुंचे राम

सामाजिक समरसता विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि घर-घर अक्षत वितरण के दौरान अवध प्रांत में वाल्मीकि बस्तियों में ऐसे भी कई उदाहरण सामने आए जहां श्रीराम की तस्वीर पहली बार उनके घर पहुंची। अंबेडकरनगर के एक गांव में वाल्मीकि समाज के घर जब टोली अक्षत वितरण करने पहुंची तो परिवारजनों ने कहा पहली बार रामजी की तस्वीर उनके घर आ रही है। परिवार ने स्नान कर तस्वीर ली और निमंत्रण स्वीकार करते हुए परिवार भावुक भी हो उठा।

बहन के यहां बरीक्षा में नहीं जाएंगी रंजिता वाल्मीकि

आरएसएस के सामाजिक समरसता प्रकोष्ठ की महिला टोली की अवध प्रांत प्रमुख रंजिता वाल्मीकि को भी ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है। 22 जनवरी को रंजिता की बहन के यहां बरीक्षा कार्यक्रम हैं, उन्होंने साफ कर दिया कि साढ़े पांच सौ साल बाद यह अवसर आया है इसलिए वह बरीक्षा में नहीं जाएंगी बल्कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगी।

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