अपने ही गढ़ में खिसका कांग्रेस का वोटबैंक, कभी सोनिया को मिले थे रिकॉर्ड 80.49 प्रतिशत मत

By :  SaumyaV
Update: 2024-03-28 07:03 GMT

अमेठी और रायबरेली कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थीं लेकिन यहां पर पार्टी का जनाधार लगातार घटता गया। अमेठी में 2004 में 76.20 प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस को 2019 के चुनाव में मात्र 43.84 प्रतिशत से संतोष करना पड़ा।

यह सब चुनावी चक्र है। जनता जनार्दन के मूड का पहिया बड़ी तेजी से घूमता है। इनका मत ही सत्ता के शिखर पर पहुंचाता है तो कुर्सी से बेदखल भी करता है। गांधी परिवार की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। चुनाव-दर-चुनाव रायबरेली व अमेठी जैसे मजबूत गढ़ में ही कांग्रेस का वोटबैंक खिसकता गया। रायबरेली से सांसद बन इंदिरा गांधी तो अमेठी जीतकर दिल्ली पहुंचे राजीव गांधी ने देश की सरकार चलाई। समय का तकाजा है कि आज गांधी परिवार संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। मात्र 20 वर्ष में ही 40 से 45 प्रतिशत वोटर कांग्रेस से विदा ले चुके हैं।

रायबरेली संसदीय सीट पर वर्ष 2006 में हुए उप चुनाव में सोनिया गांधी को रिकॉर्ड जनादेश मिला। उन्हें 80.49 प्रतिशत मत मिले, लेकिन 2019 में यह घटकर 55.80 प्रतिशत पर आ गया। अगर बात 2022 के विधानसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस का वोटों का प्रतिशत गढ़ में ही सिमटकर 12.88 फीसदी रह गया। प्रदेश में इकलौती बची रायबरेली संसदीय सीट इस बार डगमगाई नजर आ रही है। गांधी परिवार के लिए प्रदेश में सुरक्षित मानी जाने वाली अमेठी सीट के भाजपा के पाले में जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदले नजर आ रहे हैं।

सपा के साथ के बाद भी मौन

- गांधी परिवार को समय-समय पर संजीवनी देने वाली अमेठी और रायबरेली सीट विपक्षी गठबंधन इंडिया के तहत कांग्रेस के पाले में है। यहां पर सपा का मजबूत साथ है। समीकरण भी काफी हद तक बदले हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य अहम फैक्टर हैं, तो कद्दावर मनोज पांडेय का हाथ भाजपा के साथ है। ऐसे में रायबरेली की कहानी बदली हुई है। कांग्रेस के मौन में अहम कारण इसे भी माना जा रहा है।

अमेठी में यूं गिरा जनाधार

चुनाव वर्ष -- कांग्रेस -- भाजपा

2004 -- 76.20 -- 4.40

2009 -- 71.78 -- 5.81

2014 -- 46.71 -- 34.38

2019 -- 43.84 -- 49.71

रायबरेली का भी बुरा हाल

चुनाव वर्ष -- कांग्रेस -- भाजपा

2006 -- 80.49 -- 3.33

2009 -- 72.23 -- 3.82

2014 -- 63.80 -- 21.05

2019 -- 55.80 -- 38.36

रायबरेली : बढ़े रोमांच के बीच परिणाम पर टिकी नजर

- सोनिया के राज्यसभा में जाने के बाद अपने ही गढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी तय नहीं कर पा रही है। अमेठी का भी यही हाल है। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि अपने ही गढ़ की सीटों पर कांग्रेस मैदान में आने से बच रही है। कांग्रेस और सपा में गठबंधन होने के नाते किसी भी दल से जो भी प्रत्याशी आएगा, उसका मुकाबला भाजपा से होगा। यह भी सच है कि इस बार रायबरेली सीट को लेकर बदली बयार के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा।

- किसी के लिए भी इस बार जीत का सेहरा पहनना आसान नहीं होगा, लेकिन लगातार घट रहा कांग्रेस का वोटबैंक रणनीतिकारों को सचेत जरूर कर रहा है। यहां का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि विधायक मनोज पांडेय इस बार साथ नहीं होंगे।  

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