उपचुनाव को लेकर गाजियाबाद में इन दिनों चरम पर है कांग्रेस की गुटबाजी
सोनू सिंह
गाजियाबाद। कांग्रेस पार्टी गाजियाबाद में इन दिनों पूरी तरह से दो गुटों में बंटी हुई है। आलम यह है कि यहां दोनों ही गुटों के बीच पार्टी में आपस में ही शह और मात का जबरदस्त खेल चल रहा है। कभी कांग्रेस का एक गुट मजबूत दिखाई देने लगता है तो कभी दूसरा। कांग्रेस के बीच फैली इस गुटबाजी को लेकर गाजियाबाद के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर समय रहते इस गुटबाजी पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले शहर विधानसभा सीट के उप चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
गत लोकसभा चुनावों के दौरान जब कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा प्रत्याशी और पार्टी प्रवक्ता डॉली शर्मा को ही एक बार फिर गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया था तभी से पार्टी में गुटबाजी की नींव पड़ गई थी। डॉली शर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने से खफा गाजियाबाद जिला और महानगर अध्यक्षों समेत कांग्रेस के दर्जनों नेताओं ने उनके चुनाव प्रचार से ही दूरी बना ली थी। इसके चलते कांग्रेस पार्टी को चुनाव प्रचार के समय अपने गाजियाबाद जिला और महानगर अध्यक्षों को ही बदलना पड़ा था। कांग्रेस ने विजेंद्र यादव के स्थान पर विनीत त्यागी को जिलाध्यक्ष बनाया। इस फैसले का असर यह हुआ कि पार्टी की गुटबाजी में लगातार इजाफा हुआ।
वर्तमान में हालात यह हैं कि गाजियाबाद में कांग्रेस के दोनों ही धड़ों में पार्टी में वर्चस्व की जंग चल रही है। इसमें एक धड़ा कांग्रेस की गाजियाबाद लोकसभा प्रत्याशी रहीं डॉली शर्मा व उनके पिता, पूर्व महानगर कांग्रेस अध्यक्ष, नरेंद्र भारद्वाज का है। इस धड़े को कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विनीत त्यागी और महानगर अध्यक्ष विजय चौधरी का भी पूरा समर्थन है। वहीं कांग्रेस के दूसरे गुट में सुशांत गोयल, पूर्व जिलाध्यक्ष बिजेंद्र यादव और पूर्व महानगर अध्यक्ष लोकेश चौधरी है। यदि पार्टी हाईकमान ने जल्द कोई फैसला नहीं लिया तो माना जा रहा है कि विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में इसका गंभीर असर दिखाई देगा।