Chhath 2023: निर्जल उपवास आज, कल डूबते सूर्य की होगी पूजा; तस्वीरों में देखें तैयारियों की एक झलक

Update: 2023-11-18 07:28 GMT

चार दिनों के लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय से हो गई। छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने विधि-विधान से नहाय खाय की पारंपरिक रस्म निभाई। व्रती महिलाओं ने सुबह जलाशयों और घरों में स्नान के बाद शाम को कुट्टू- चावल पकाकर खाया। शनिवार को खरना से निर्जल उपवास शुरू करेंगी। रविवार को अस्ताचलगामी और सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी।

छठ पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए शुक्रवार को पूरे दिन बाजार में चहल-पहल रही। छठ घाटों पर पूरे दिन चहल पहल रही। श्रद्धालुओं के साथ नगर निगम की टीम और स्वयं सेवक घाटों की व्यवस्था दुरुस्त करने में लगे रहे। महानगर के सूर्यकुंड धाम, गोरखनाथ, महेसरा घाट, राजघाट, रामघाट, रामगढ़ताल आदि स्थानों में बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा की वेदी बनाते नजर आए।


खरना आज

छठ पर्व का दूसरे दिन खरना है। इस दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि का मान सुबह नौ बजकर 53 मिनट मिनट, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र दिन भर और रात को एक बजकर 22 मिनट तक, इसके बाद श्रवण नक्षत्र और शूल तदुपरि वृद्धि नामक योग है। पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, व्रती महिलाएं शनिवार को निर्जल खरना व्रत रखेंगी। शाम को स्वच्छ स्थान पर चूल्हे को स्थापित कर अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से पूजा करेंगी। आटे से रोटी और साठी के चावल से खीर बनाएंगी। इसके बाद खरना किया जाएगा। यही रोटी और खीर खाने के बाद छठ व्रत शुरू हो जाएगा, जो सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा।


महानगर में तैयार हुए अस्थायी घाट

महानगर के मोहद्दीपुर, मेडिकल कॉलेज रोड स्थित विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, शाहपुर, विष्णुपुरम, बौलिया कॉलोनी, कूड़ाघाट, सूबा बाजार, बशारतपुर, रुस्तमपुर, राप्तीनगर, जाफरा बाजार, सहारा इस्टेट, सिविल लाइंस, पादरी बाजार, असुरन चौक आदि इलाकों में लोगों ने घरों के आगे अस्थायी घाट बनाकर तैयार किए हैं।


कोसी भरने की तैयारी में जुटे

घर में किसी मांगलिक आयोजन या किसी मन्नत के पूरा होने के बाद छठ पर कोसी भरी जाती है। महानगर के विभिन्न कॉलोनियों और मोहल्लों के घरों में कोसी भरने की तैयारी है। इसे लेकर इन परिवारों में जोरों से तैयारी चल रही है। घर पर कोसी भरने में उपयोग में लाया जाने वाला मिट्टी का हाथी, कलश, दीये, गन्ना, फल आदि सामान जुटाने में लोग लगे रहे। घर की साफ-सफाई भी की जाती रही।


रामायण काल से हुआ व्रत का आरंभ

पंडित बृजेश पांडेय के अनुसार, मान्यता है कि भगवान सूर्य और माता छठ को समर्पित छठ व्रत का शुभारंभ रामायण काल से हुआ। माता सीता ने इस व्रत को अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए किया था। द्रोपदी के छठ व्रत के परिणाम स्वरूप पांडवों को राजपाट वापस मिला था।


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