AMU: 750 बकरों का कोरमा, 40 क्विंटल बिरयानी, 35 क्विंटल शाही टुकड़ा, 40 हजार ने खाई दावत
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में सर सयैद डे के अवसर पर 110 साल से चली आ रही दावत की परंपरा में 20 दस्तरखान सजे। करीब 40 हजार विद्यार्थियों और शिक्षकों ने दावत खाई। 750 बकरों से कोरमा और 40 क्विंटल बिरयानी बनी। 35 क्विंटल शाही टुकड़े का लुत्फ उठाया गया।
यह परंपरा वर्ष 1913-14 में शुरू हुई थी। छात्र जहां शेरवानी-पायजामा में थे, छात्राएं सफेद सलवार, कमीज और दुपट्टे में थीं। एक हॉल में करीब 700-800 छात्र रहते हैं। अब्दुल्ला हॉल में छात्राओं की संख्या करीब 1300-1500 है। एक हॉल में दो क्विंटल बिरयानी, चार क्विंटल गोश्त और दो क्विंटल शाही टुकड़े की दावत खाई गई। इसमें करीब 35-40 बकरों की कुर्बानी दी गई। इस तरह से सभी दस्तरखान में करीब 750 बकरे, 40 क्विंटल बिरयानी बनी। एएमयू में 27 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं।
पहले एसएस हॉल में सामूहिक दावत होती थी, जहां कई हॉल के छात्र-छात्राएं शामिल होते थे। 90 के दशक में विद्यार्थियों की तादाद बढ़ने से सामूहिक दावत एएमयू के क्रिकेट पवेलियन पर होने लगी, जहां हॉल के नाम से अलग-अलग पंडाल लगते थे। विद्यार्थियों की संख्या और हॉल बढ़ने से करीब वर्ष 2000 के बाद हॉलों में खाना खाने की परंपरा शुरू हुई। कोरोना काल में दो साल तक हॉलों में भोजन नहीं हो सका।
बड़ा खाना की खास बातें
110 साल पुरानी दावत में सजे 20 दस्तरखान
750 बकरों का कोरमा
40 क्विंटल बिरयानी
35 क्विंटल शाही टुकड़ा बना
40 हजार छात्रों-शिक्षकों ने उठाया लुत्फ