भारत में जल का विश्वविद्यालय भी बनना चाहिए जिसमें जल को लेकर अध्ययन व शोध भी हो -पद्मश्री पांडेय

Update: 2024-08-28 12:06 GMT

मेवाड़ में ‘जल संरक्षण और सुरक्षा’ पर सेमिनार आयोजित

गाजियाबाद। जाने-माने पर्यावरण एवं जलयोद्धा उपाधि से विख्यात पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने कहा कि भारत में जल का विश्वविद्यालय भी बनना चाहिए। जिसमें जल को लेकर अध्ययन हो और शोध भी हो। आज जल क्रांति की आवश्यकता है, जो जन क्रांति बने। आज जल स्वराज आये जो भविष्य में जन स्वराज बने। मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस एवं विश्व युवक केन्द्र की ओर से आयोजित सेमिनार में उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता यह विचार व्यक्त किया। सेमिनार का विषय ‘पर्यावरण संरक्षण एवं सुरक्षा’ था। इस अवसर पर उन्होंने बीकॉम के छात्र अभिषेक कुमार सहित मेवाड़ के 275 विद्यार्थियों को जलयोद्धा के प्रमाण पत्र बांटे।

अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि विश्व में कहीं भी पानी बनाया नहीं सिर्फ बचाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के 10 जिलों के 550 ब्लॉकों में जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। वहां जलक्रांति के प्रति जागरूकता लाने के मिशन पर वे निकले हैं। उन्होंने कहा कि पानी बेजान को जोड़ता है। केवल जमीन के पानी को ही नहीं लोगों की आंखों के पानी को भी बचाने की जरूरत है। अगर ये दोनों मर गये तो जीवन नष्ट हो जाएगा। श्री पांडेय ने कहा कि पानी को बचाना है और समाज को पानीदार बनाना है। इसकी जिम्मेदारी नौजवानों के कंधों पर है। आज हम पानी के विश्वविद्यालय नहीं चला सकते तो पानी की पाठशाला तो चला ही सकते हैं। इसके तहत पानी पर चिंता और चिंतन कर लोगों को जागरूक किया जा सकता है। पानी बचाने के लिए बस हमें इतना करना है कि जहां का पानी है उसे वहीं पहुंचाते रहना है। खेतों का पानी खेतों में, मेढ़ों का पानी मेढ़ों में, धरती का पानी धरती में और आकाश का पानी आकाश तक पहुंचाते रहें। गंदा पानी भी आग बुझाने के काम में लाया जा सकता है।

सेमिनार में मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि आज हमारी नासमझी के कारण पानी की बरबादी हो रही है। हमें आरो का पानी पीना पड़ता है या खरीदकर शुद्ध पानी पीना पड़ रहा है। हमें पेड़ों का संरक्षण करते हुए पानी को बचाने की मुहिम चलानी होगी। पानी को अशुद्ध होने से बचाना होगा। विश्व युवक केन्द्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह और कार्यक्रम अधिकारी मुक्ता भारद्वाज ने भी पानी के संरक्षण और सुरक्षा पर अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर पर अतिथियों को पौधे, स्मृति चिह्न और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। सेमिनार में मेवाड़ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। संचालन रंजना मिश्रा ने किया।

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