मायावती का आदेश क्यों नहीं मान रहा था आकाश आनंद, अब कौन बनेगा उत्तराधिकारी ! क्या आकाश के पिता की जिम्मेदारी पूर्ववत रहेगी ?
नई दिल्ली। चुनाव प्रचार शुरू होते ही बसपा सुप्रीम के भतीजे आकाश आनंद ने मायावती के आदेश को दरकिनार करना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं, वह चुनावी भाषण में बहक जाते थे। उनके भाषण पर एफआईआर तक दर्ज हुई। इस पर मायावती ने आकाश को बार-बार अपनी गलतियों को सुधारने और एक हद तक रहने का आदेश दिया था, लेकिन जब पानी नाक से ऊपर बहने लगा तब मायावती ने अपने उत्तराधिकारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया और मंगलवार को एक्स पर बयान जारी करके आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटाने का ऐलान कर दिया। मायावती ने उनसे पार्टी की जिम्मेदारियां छीन ली और कहा कि आकाश अभी परिपक्व नहीं हुए हैं। ऐसे में सवाल उठ गया है कि अब मायावती अपना उत्तराधिकारी किसे घोषित करेंगे ? हालांकि मायावती ने कहा कि आकाश के परिपक्व होने का इंतजार किया जाएगा। जहां तक आकाश के पिता एवं भाई आनंद कुमार की बात है तो यह बताया गया कि वह पार्टी के हित में पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे।
आकाश आनंद ने सीतापुर में जनसभा के दौरान भाजपा नेताओं की तुलना आतंकवादियों से की थी। साथ ही, उन्हें जूतों से मारने की बात कही थी। आकाश आनंद के इस भड़काऊ भाषण के बाद उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जिसमें पार्टी के तीन प्रत्याशियों को भी नामजद किया गया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए आकाश आनंद की रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी थी। उन्होंने आकाश को यूपी और उत्तराखंड से दूर रखने का निर्णय भी लिया था। लोकसभा चुनाव आने पर आकाश आनंद ने बसपा की जनसभाओं की शुरुआत नगीना से की। इस जनसभा में उन्होंने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं नगीना के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर सीधा हमला बोला, जो बसपा नेतृत्व को रास नहीं आया। बसपा सुप्रीमो ने सीतापुर के प्रकरण के बाद आकाश आनंद के प्रचार पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद वह लगातार दिल्ली में रहकर प्रचार-प्रसार कर रहे थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विदेश में बसे बहुजन समाज के लोगों के साथ संपर्क करते हुए बसपा का प्रचार करते रहे।
बता दें कि आकाश आनंद महज पांच महीने ही नेशनल कोआर्डिटनेटर रह पाए। आकाश को बीते वर्ष दिसंबर में लखनऊ में हुए पदाधिकारियों के सम्मेलन में मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।