संसद के ना चलने के लिए कोण है जिम्मेदार ? जनता के पैसे कब तक होंगे बर्बाद ?
मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल तीनों ही राज्य में हुई है और इन तीनों ही राज्य में महिलाओं के साथ अभद्रता का भी मामला सामने आया है ।पर विपक्ष मणिपुर पर अड़ गया है। जिस कारण मतदाताओं का मेहनत का लाखों रुपया रोज जाया जा रहा है। मानसून सत्र का एक भी दिन पूरी तरह से चर्चा का नहीं रह पा रहा है। इसके कारण जितने भी बिल पास होने थे वे सारे अभी तक रुके हुए हैं।
संसद (Parliament) का आज का दिन भी विवादित रहा। जिसके चलते ना सिर्फ राज्यसभा (Rajya Sabha) के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) और टीएमसी नेता के बीच तीखी नोकझोंक हुई बल्कि सभापति ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) को मानसून सत्र के बचे हुए पूरी अवधि के लिए निलंबित भी कर दिया ।
दरअसल विपक्ष शुरू से ही राज्यसभा में मणिपुर (Manipur) के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं । उसी को लेकर आज भी विवाद हुआ। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है की सरकार जहां राज्यसभा के नियम 176 के तहत बहस करना चाहती है वहीं विपक्ष 267 के तहत चर्चा की मांग कर रही है । इन दोनों के बीच का फरक भी बहुत साफ है। नियम 267 के अनुसार किसी भी विषय पर राज्यसभा (Rajya sabha) में सभापति की मंजूरी के बाद ढाई घंटे तक चर्चा की जाती है । जिसके बाद बाकी विषयों पर चर्चा होती है । इसके अलावा विपक्ष ने जो नियम के तहत चर्चा की मांग की है। उस 267 के अनुसार पूरे दिन एक ही विषय पर चर्चा होती है ।
आज राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने केंद्र सरकार की बात मानते हुए 176 के तहत चर्चा के लिए मंजूरी दी । इसके लिए उन्होंने सबसे पहले नियम 176 के तहत मिले नोटिस का विवरण देते हुए सांसद और उनके राजनीतिक दलों के नाम पढ़े । जिनमें राजस्थान से लेकर मणिपुर तक के राज्यों में हुई हिंसा पर अल्पकालीन चर्चा की मांग की थी। इस नियम के तहत उन्होंने बताया कि उन्हें 11 नोटिस मिले हैं। इसके तहत उन्होंने जिन दलों के द्वारा और जिन सदस्यों के द्वारा इस नियम के तहत चर्चा की मांग की थी उनके नाम भी बताएं।
विपक्ष को सभापति की बात पसंद नहीं आई। उनका कहना था कि उन्होंने जिस नियम के तहत चर्चा की मांग की थी और जिन दलों के द्वारा नोटिस भेजे गए थे सभापति ने उन दलों के नाम तक नहीं लिया । विपक्ष के पूछने के बाद सभापति ने उन सभी पार्टियों और सदस्यों के नाम लेना शुरू किया। जिन्होंने 267 के तहत चर्चा की मांग की थी। लेकिन जैसे ही सभापति ने बोलना शुरू किया टीएमसी के नेता डेरेक ओब्रायन अपनी सीट से उठ गए और उस पर आपत्ति जताने लगे । इसके बाद दोनों के बीच माहौल थोड़ा गरमाया ।
इस पर सभापति ने डेरेक ओ ब्रायन को कहा की क्या आप कुर्सी को चुनौती दे रहे है। कुल मिलाकर देखें तो मामला शुरू से ही काफी विवादित रहा है। जब से संसद की कार्रवाई शुरू हुई है तभी से विपक्ष एक ही मुद्दे पर अड़ा हुआ है इसी के चलते आज आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के अनियंत्रित व्यवहार के कारण उन्हें बाकी बचे हुए मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।
यह प्रस्ताव सदन के नेता पियूष गोयल द्वारा रखा गया था जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। इसका मतलब साफ है कि अब आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह बचे हुए मानसून सत्र में शामिल नहीं हो पाएंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंसा मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल तीनों ही राज्य में हुई है और इन तीनों ही राज्य में महिलाओं के साथ अभद्रता का भी मामला सामने आया है ।पर विपक्ष मणिपुर पर अड़ गया है। जिस कारण मतदाताओं का मेहनत का लाखों रुपया रोज जाया जा रहा है। मानसून सत्र का एक भी दिन पूरी तरह से चर्चा का नहीं रह पा रहा है। इसके कारण जितने भी बिल पास होने थे वे सारे अभी तक रुके हुए हैं।
इन हालातों में अगर सरकार चर्चा के लिए तैयार है तो विपक्ष को भी चर्चा का सामना करना चाहिए। पर लगता है जैसे विपक्ष केवल केंद्र सरकार पर उंगली उठाने में ही व्यस्त रहना चाहता है। तभी लाख कोशिश के बावजूद ना तो विपक्ष केंद्र सरकार की नाही राज्यसभा के सभापति की बात समझने को तैयार है ।अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में किसी भी विषय पर चर्चा हो पाना नामुमकिन हो जाएगा। पिछले काफी सत्रों में यही चीज सामने आई है। हर सत्र में बहुत ही कम अवधि के लिए संसद चल पाई है। अक्सर 10 से 15 मिनट के अंदर संसद की कार्यवाही रोक दी जाती है ।अब इन हालातों में नुकसान देश का और देश के नागरिकों का हो रहा है जिसके लिए जनता के चुने चुने हुए हर सांसद को जवाब देना होगा चाहे वह पक्ष के हो चाहे विपक्ष के।