सीएम आवास पर आपको किसने बुलाया? भरी अदालत में बिभव ने दागे सवाल, रोने लगीं स्वाति मालीवाल, जानें सुनवाई में दोनों पक्षों के बीच चले तमाम सवाल जवाबों को

Update: 2024-05-27 08:12 GMT

नई दिल्ली। स्वाति मालीवाल केस में गिरफ्तार बिभव कुमार की जमानत याचिका पर आज सुनवाई हो रही है। बिभव कुमार अरविंद केजरीवाल के पीए हैं। बिभव की जमानत अर्जी पर दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में रूम नंबर 119 में सोमवार को सुनवाई जारी है। इस दौरान स्वाति मालीवाल भी कोर्ट रूम में मौजूद हैं। स्वाति मालीवाल के सामने बिभव कुमार ने भरी अदालत में कई सवाल पूछे। कहा आपको सीएम आवास पर किसने बुलाया, आपको यह छूट कैसे मिली?

सीएम आवास में स्वाति मालीवाल की एंट्री को बिभव कुमार के वकील हरी हरन ने अतिक्रमण बताया है। उन्होंने एफआईआर में आईपीसी की धारा 308 पर भी सवाल उठाया। जब कोर्ट रूम में सीएम आवास का वीडियो जज साहब को दिखाया गया, तब स्वाति मालीवाल रोने लगीं।

भरी अदालत में बिभव की जमानत अर्जी पर आज क्या-क्या हुआ?

दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि आप एक अकेली महिला को मार रहे हैं। छाती, गर्दन पर मारा गया और उन्हें घसीटा गया। इस दौरान उनका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया। मैं खुद से सवाल करता हूं, क्या इससे उनकी मौत नहीं हो सकती? आप एक महिला को इस तरह से मार रहे हैं कि उसका बटन खुल गया। आप कहते हैं कि स्वाति वहां पहले से सोची समझी योजना के साथ गई थीं, मैं यह सवाल पूछता हूं, वे मौजूदा सांसद हैं, वे डीसीडब्लू की सीपी रह चुकी हैं, पार्टी कहती है कि स्वाति लेडी सिंघम हैं, अगर कोई महिला संकट में होती है तो वे स्वाति को बुलाते हैं और आप कहते हैं कि वे बिभव कुमार की छवि खराब करने के लिए वहां गई थीं? बिभव बेहद प्रभावशाली हैं। आप कहते हैं कि एक सांसद सीएम से मिलने जा रहा है, लेकिन सीएम से मिलने के लिए बिभव की अनुमति की आवश्यकता है। सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि बिभव सर की अनुमति की आवश्यकता है। वास्तव में, बिभव को वहां रहने का कोई अधिकार नहीं था। उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं।

बिभव के वकील ने आगे कहा कि बिभव 5 दिन के पुलिस कस्टडी में थे जबकि यह ऐसा मामला था, जिसमें कुछ भी बरामद नहीं किया जा सकता था। यह दुखद स्थिति है। जिस दिन घटना हुई है उस दिन शिकायत नहीं करते, 3 दिन बाद एम्स में एमएलसी कराते हैं। अगल बगल के अस्पताल नहीं ले जाते। कहानी के अनुरूप सब कुछ पूर्वनियोजित था। स्वाति के बयानों पर विश्वास करने पर भी कपड़ा उतारने के इरादे का अपराध नहीं बनता। उनका कपड़ा उतारने का कोई इरादा नहीं था। इरादा केवल उन्हें सीएम आवास में घुसने से रोकना था। उन्होंने शर्ट नहीं, बल्कि कुर्ती पहनी हुई थी। उनके बाल बिखरे हुए नहीं थे। हाथापाई जैसी कोई घटना नहीं हुई है। लगाए गए आरोपों से यह नहीं पता चलता कि उनके कपड़े उतारने का इरादा था। वकील ने कहा कि जो आरोप वह लगा रही हैं, उन्हें दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है।

बिभव के वकील ने कहा कि स्वाति कहती हैं कि बिभव ने उन्हें 7-8 बार थप्पड़ मारे। स्वाति मालीवाल कहती हैं कि बिभव ने उससे कहा तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? मैं पूछ रहा हूं कि आखिर वह कौन सी बात? कौन सी बात नहीं मानेगी? क्या बात थी? चलिए एक मिनट के लिए स्वाति की कही गई बातों को सत्य मान लेते हैं अगर ऐसा है भी तो आईपीसी की धारा 308 कहां से आती है? अपराध करने का मकसद क्या था? उस जगह को देखिए जहां घटना हो रही है। वहां बहुत सारे लोग हैं। प्रोटोकॉल अधिकारी वहां हैं, सुरक्षा अधिकारी वहां हैं और सभी जानते हैं कि स्वाति मालीवाल ने बिभव कुमार को फोन किया था। मेडिकल जांच उसी दिन नहीं हुई। यह 3-4 दिनों के अंतराल के बाद एम्स में हुई। स्वाति मालीवाल को दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में नहीं ले जाया गया, दिल्ली सरकार के कई अस्पताल नजदीक हैं, लेकिन मालीवाल को एम्स ले जाया गया।

भरी अदालत में रोने लगीं स्वाति मालीवाल

जिस समय कोर्ट रूम में स्वाति मालीवाल के मुख्यमंत्री आवास से निकलने का वीडियो जज साहब को दिखाया गया और एफआईआर के बारे में बिभव के वकील जज को बता रहे थे, उस समय स्वाति मालीवाल कोर्ट रूम में रोने लगीं।

बिभव ने बताया केजरीवाल के आवास पर क्या-क्या हुआ?

बिभव के वकील हरी हरन ने कहा पुलिस ने सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट की अनदेखी क्यों की? यह किस तरह की जांच है। वह परेशानी पैदा करने के लिए पहले से ही सोची-समझी मंशा से आई थीं। वह अक्सर यहां आती रही हैं, इसलिए उन्हें अतिक्रमण का अधिकार है? वह बिभव को इसलिए बुला रही थीं, ताकि वह समय रहते सीएम से मिल सके। स्वाति के अंदर घुसने पर बिभव ने सुरक्षाकर्मियों से पूछा कि किसके निर्देश पर स्वाति को अंदर जाने दिया गया? उन्हें (बिभव) पूछना ही होगा क्योंकि वे सीएम की सुरक्षा के लिए भी जवाबदेह हैं। इसके बाद सुरक्षाकर्मी अंदर गए और पूरे सम्मान के साथ उन्हें बाहर निकाला गया। तो आखिर यह घटना कहां हुई? वह सामान्य तरीके से वहां से बाहर जा रही थीं। कोई झिझक नहीं दिखी। पहली नजर में बिभव कुमार वहां मौजूद ही नहीं थे। इसके बाद वे करीब 9:20 बजे आए, वह भी स्वाति मालीवाल के बार-बार कहने पर उन्होंने उसी दिन कोई शिकायत नहीं की। 3 दिन बाद की। वे डीसीडब्ल्यू प्रमुख थीं, उन्हें अपने अधिकारों का पूरा ज्ञान था। अगर उनके अधिकारों का हनन हुआ था, तो उन्हें तुरंत शिकायत करनी चाहिए थी। 3 दिन की देरी क्यों हुई। यह बहुत सोच विचार के बाद किया गया।

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