बिहार में गिरता मत प्रतिशत किसको पहुंचाएगा नुकसान, सोचने को क्यों विवश हो रहे हैं नीतीश
पटना। बिहार में दूसरे चरण में भी वोटिंग प्रतिशत कम रहा है। शुक्रवार शाम तक जारी आंकड़ों के अनुसार, 53 प्रतिशत वोटिंग हई थी जबकि पहले चरण के चुनाव में 50 प्रतिशत मतदान हुआ था। सीएम नीतीश के प्रदेश में जिस तरह से अन्य राज्यों के मुकाबले मतदान प्रतिशत गिरा है। उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार बिहार में बड़ा बदलाव हो सकता है।
जिस तरह से बिहार में पिछले दोनों चरण में मतदान प्रतिशत देखा गया है। उससे समझा जा सकता है। इस बार आरजेडी लोकसभा में ज्यादा सीट हासिल कर सकती है। बता दें कि बिहार की 40 सीटों में से 5 सीट पर शुक्रवार को मतदान हुआ, इसमें किशनगंज में 64.फीसदी मतदान हुआ जबकि कटिहार में 64.06 फीसदी, पूर्णिया 59.94 फीसदी, भागलपुर 51 फीसदी और बांका में 54 फीसदी मतदान हुआ, कुल मिलाकर बिहार कम मतदान वाले राज्य में शामिल है।
बिहार की जनता ने नहीं दिखाई मतदान में रुचि
बिहार में पिछले दो चरणों में जिस तरह से मतदान देखने के लिए मिला है। उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार एनडीए 20 सीटों पर सिमट सकती है। 2019 में जहां बिहार में एनडीए के गठबंधन ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थी। अब उसमें बड़ा फेरबदल हो सकता है। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरह से नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को धोखा देकर बीजेपी का दामन थामा है उससे जनता खुश नहीं है। नीतीश की पलटीमार छवि को देखते हुए लोगों ने उनसे किनारा कर लिया है, इसका पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने भी विरोध किया। नतीश के महागठबंधन छोड़ने पर सब यहीं कहते हुए सुनाई दिए कि उन्होंने बिहार की जनता के साथ धोखा किया।
बिहार विधानसभा चुनाव में हो सकता है नुकसान
बिहार विधानसभा में एनडीए को घाटा लग सकता है क्योंकि यहां की जनता ने नीतीश लहर को नकार दिया। यह बदलाव नीतीश के एनडीए में जाने के बाद देखने को मिला था पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर नेताओं ने उनकी दबी जबान में आलोचना की थी लेकिन फिर भी पार्टी की साख के लिए उसे छोड़ा नहीं। अब 2025 में बिहार में चुनाव होना है इसका नुकसान नीतीश कुमार को उठाना पढ़ सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीट मिली थी जबकि महागठबंधन को 110 सीट मिली। जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बिहार में लोगों ने रूचि नहीं दिखाई, उसके विपरीत विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।