भारत और जर्मनी साझेदारी में स्पष्टता है और इसका भविष्य उज्ज्वल है: पीएम मोदी
नई दिल्ली। भारत और जर्मनी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की उपस्थिति में नवाचार और प्रौद्योगिकी पर रोडमैप तथा रोजगार और श्रम के क्षेत्र में एक संयुक्त घोषणा पर समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मैं चांसलर स्कोल्ज और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूं। मुझे खुशी है कि हमें पिछले 2 वर्षों में तीसरी बार आपका भारत में स्वागत करने का अवसर मिला है। मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली IGC बैठक अभी-अभी संपन्न हुई है। हम अभी CEO फोरम की बैठक से आ रहे हैं। इसी समय, जर्मन नौसेना का जहाज गोवा में पोर्ट कॉल कर रहा है और खेल जगत भी पीछे नहीं है। हमारी हॉकी टीमों के बीच मैत्रीपूर्ण मैच भी खेले जा रहे हैं। साथियों, चांसलर स्कोल्ज के नेतृत्व में हमारी साझेदारी को नई गति और दिशा मिली है। मैं जर्मनी की फोकस ऑन इंडिया रणनीति के लिए चांसलर स्कोल्ज को बधाई देता हूं। इसमें दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच साझेदारी को व्यापक तरीके से आधुनिक बनाने और बढ़ाने का खाका है। महत्वपूर्ण और उभरती हुई तकनीक, कौशल, विकास और नवाचार में संपूर्ण सरकारी पहल पर भी आम सहमति बनी है। इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग मजबूत और सुरक्षित होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि हम दोनों अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता पर सहमत हैं। हम दोनों इस तथ्य से सहमत हैं कि 20वीं सदी में स्थापित वैश्विक मंच 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित सभी बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है। भारत और जर्मनी इन क्षेत्रों में सक्रिय रूप से सहयोग करना जारी रखेंगे। भारत की युवा शक्ति जर्मनी की समृद्धि और विकास में योगदान दे रही है। हम भारत के लिए जर्मनी की कुशल श्रम रणनीतियों का स्वागत करते हैं। भारत और जर्मनी साझेदारी में स्पष्टता है और इसका भविष्य उज्ज्वल है।
उन्होंने आगे कहा कि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है। गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान पर समझौता इस दिशा में एक नया कदम है। आज संपन्न हुई पारस्परिक कानूनी, सहायक संधि आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों को मजबूत करेगी। यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष हम दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत का हमेशा से मानना रहा है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और भारत शांति बहाली के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है।