शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के वक्तव्य पर शिवसेना (यूबीटी) और शिवसेना (शिंदे) में ठनी!
मुंबई। उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी के विवाह समारोह में भाग लेने आए ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को उद्धव ठाकरे के आवास पर भी गए थे। उनके घर से निकलने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सनातन धर्म में विश्वासघात एक बहुत बड़ा पाप है। उद्धव ठाकरे के साथ यही विश्वासघात हुआ है। जिस तरीके से विश्वासघात करके एक हिंदूवादी पार्टी को तोड़ा गया और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया वह गलत है। जब तब वह फिर से मुख्यमंत्री के नही बन जाते तब तक हम सबके मन में यह पीड़ा रहेंगी।
शंकराचार्य के इसी वक्तव्य पर आज शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता संजय राउत ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि शंकराचार्य सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु हैं और उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है। उन्होंने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी अपनी बात रखी थी और कहा था कि राम मंदिर में राजनीतिक काम चल रहा है।
लेकिन शंकराचार्य के इसी बयान पर शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य संजय निरुपम ने अपने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी धार्मिक कम, राजनीतिक ज्यादा हैं। उद्धव ठाकरे से मिलना उनका व्यक्तिगत फैसला हो सकता है। पर शिवसेना के अंदरूनी विवाद पर टिप्पणी करना सही नही है। यह उन्हें शोभा नहीं देता। कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन नहीं, यह जनता तय करेगी, शंकराचार्य नहीं और जो विश्वासघात करेगा वह हिंदू नहीं हो सकता। तो पहले तो यह तय होना चाहिए कि विश्वासघात किसने किया ?
निरुपम ने कहा 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद खुद उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए विश्वासघात की ओर था। जब वह चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद भाजपा का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ चले गए थे। उसके बाद से ही शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व एवं शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के विचारों से दूर जाने का आरोप लगता रहा है।