अग्निवीर योजना को लेकर प्रधानमंत्री के बयान पर सरकार को घेरने में जुटा विपक्ष, जानें क्या कहकर योजना का कर रहे हैं विरोध
नई दिल्ली। अग्निवीर योजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अब विपक्ष सरकार को घेरने में लग गई है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम का कहना है कि अग्निपथ योजना सेना में अल्पकालिक प्रवेश है, जिसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण और लाभ नहीं दिए जाते। भविष्य में एक पेशेवर सेना को व्यापक प्रशिक्षण और पूर्ण कमीशन की आवश्यकता होती है। इसलिए अग्निपथ योजना अब सेना की क्षमता और सामर्थ्य को मजबूत करने वाली नहीं है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि क्या कारगिल युद्ध में अग्निवीर थे? कारगिल युद्ध तो हमे भारत की विश्व विजयी सेना के साथ जीता था। हम कारगिल के शहीदों को प्रणाम करते हैं लेकिन 6 महीने के प्रशिक्षण के बाद इन अग्निवीरों को चीन और पाकिस्तान के सामने सीमा पर खड़ा करना निर्दयता और क्रूरता है।
तो वहीं समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि मुझे ये कहते हुए गर्व है कि हमारी सेना का एक गौरवशाली इतिहास रहा है लेकिन अफसोस है कि भाजपा की सरकार ने अग्निवीर योजना की व्यवस्था की है। इससे ज्यादा अपमान सेना का नहीं हो सकता है। जब इंडिया गठबंधन की सरकार आएगी तो हम 24 घंटों में इस योजना को खत्म करके सामान्य भर्ती करेंगे।
उधर, भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा कि ऐसे कितने बच्चों का मनोबल यह विपक्ष तोड़ रहा है जो देश की सेवा के लिए कुछ करना चाह रहे हैं। यह देश को मजबूत करने की सोच है। 5 साल इनकी यही राजनीति रही है कि पीएम मोदी और सरकार जो कुछ भी करे वे(विपक्ष) केवल उसका विरोध करते हैं। हर बात को लेकर नकारात्मक सोच के साथ कैसे ये लोग देश को आगे लेकर जाएंगे?
दरअसल, कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सच्चाई ये है कि अग्निपथ योजना से देश की ताकत बढ़ेगी और देश का सामर्थ्यवान युवा भी मातृभूमि की सेवा के लिए आगे आएगा। मैं हैरान हूं कि कुछ लोगों की समझ को क्या हुआ है, उनकी सोच को क्या हो चुका है। ऐसा भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार पेंशन के पैसे बचाने के लिए ये योजना लेकर आई है। मुझे ऐसे लोगों की सोच से शर्म आती है लेकिन मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि आज मोदी सरकार के शासनकाल में जो भर्ती होगा क्या उसे आज ही पेंशन देनी होगी? उसे पेंशन देने की नौबत 30 साल में आएगी और तब तो मोदी 105 साल का हो चुका होगा। क्या तर्क दे रहे हैं? मेरे लिए 'दल' नहीं 'देश' सर्वोपरि है। हम राजनीति के लिए नहीं राष्ट्रनीति के लिए काम करते हैं।