पूजा स्थल अधिनियम 1991 पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, नए मुकदमे दर्ज करने पर रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 1991 के पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई तक कोई भी मंदिर-मस्जिद से जुड़ा नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की विशेश बेंच कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले में हलफनामा दाखिल करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र का जवाब दाखिल नहीं होता, तब तक मामले की सुनवाई पूरी तरह संभव नहीं है, साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी तरह के नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जा सकते।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ये तीनों धाराएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15, 21, 25,26 और 29 का उल्लंघन करती हैं। याचिका के मुताबिक ये सभी हमारे संविधान की मूल भावना और प्रस्तावना के खिलाफ हैं। प्रस्तुत किए गए विभिन्न कारणों में से एक यह तर्क था कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने के लिए न्यायिक उपचार के अधिकार को छीन लेते हैं।