रालोद का ओबीसी कार्ड... 53 साल बाद बागपत सीट पर नहीं है चौधरी परिवार का कोई सदस्य; ऐसे साधा समीकरण
राष्ट्रीय लोकदल ने दो लोकसभा के साथ ही विधान परिषद की सीट के लिए अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया। उम्मीदवारों के चयन में रालोद ने पिछड़ा वर्ग कार्ड चला है। दो जाट और एक गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। 53 साल बाद बागपत सीट पर चौधरी परिवार का कोई सदस्य नहीं है।
राष्ट्रीय लोकदल ने लोकसभा क्षेत्र बागपत से डा. राजकुमार सांगवान और बिजनौर से चंदन चौहान को प्रत्याशी बनाया है। विधान परिषद के लिए योगेश चौधरी के नाम पर मुहर लगाई है। इन प्रत्याशियों के जरिए रालोद ने ओबीसी कार्ड खेला है। डा. सांगवान और योगेश जहां जाट बिरादरी के हैं तो चंदन गुर्जर हैं।
समाजवादी पार्टी से अलग होकर एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकदल को लोकसभा की दो सीटें मिली हैं। पार्टी ने बुधवार को बिजनौर से चंदन चौहान को और बागपत से डा. राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
करीब 53 साल बाद चौधरी चरण सिंह परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में नहीं है। बागपत लोकसभा क्षेत्र की पहचान चौधरी परिवार की परंपरागत सीट के रूप में होती रही है। यहां पहलीबार 1977 में चौधरी चरण सिंह विजयी हुए। इसके बाद से लगातार इस सीट पर चौधरी परिवार ही उम्मीदवार बनता रहा है।
ऐसे में रालोद ने डा. सांगवान को उम्मीदवार बनाकर बिरादरी में अलग संदेश दिया है। क्योंकि डा. सागवान लंबे समय से रालोद में शामिल हैं। अभी यहां से 2014 से लगातार सत्यपाल सिंह सांसद हैं। यहां की पांच विधान सभा क्षेत्रों में सिवालखास छपरौली में लोकदल तो बड़ौत, बागपत और मोदीनगर भाजपा के पास है।
इसी तरह बिजनौर से बसपा के मलूक नागर सांसद हैं। यहां से रालोद ने गुर्जर बिरादरी के चंदन चौहान को मैदान में उतारा है। यह सीट 2004 और 2009 में रालोद के पास थी, यहां की पांच विधानसभा क्षेत्रों में चंदन मीरापुर से खुद विधायक हैं। पुरकाजी भी रालोद के पास है, जबकि बिजनौर व हस्तिनापुर भाजपा के पास और चांदपुर सपा के पास है। चंदन के पिता संजय चौहान 2009 से 14 तक विधायक रहे हैं। यह सीट दलित और मुस्लिम बहुल है। लेकिन गुर्जर, सैनी मतदाता भी है।
उतार अपनी जमीन उपजाऊ बनाने की कोशिश में रालोद
लोकसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट पर पिछड़ी जाति को उतार कर रालोद ने अपनी जमीन फिर से उपजाऊ बनाने की रणनीति अपनाई है। खास बात यह है कि चौधरी परिवार की परंपरागत सीट बागपत पर पहली बार परिवार का कोई सदस्य नहीं उतर रहा है।
इतना जरूर है कि इस सीट पर डॉ. राजकुमार सांगवान को उतारकर परिवार के प्रति वफादारी का इनाम दिया है। बताया जाता है कि करीब 53 साल बाद चौधरी चरण सिंह परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में नहीं है।
बागपत लोकसभा क्षेत्र की पहचान चौधरी परिवार की परंपरागत सीट के रूप में होती रही है। यहां पहली बार 1977 में चौधरी चरण सिंह विजयी हुए। इसके बाद से लगातार इस सीट पर चौधरी परिवार ही उम्मीदवार बनता रहा है।
ऐसे में रालोद ने डॉ. सांगवान को उम्मीदवार बनाकर बिरादरी में अलग संदेश दिया है। अभी यहां से 2014 से लगातार सत्यपाल सिंह सांसद हैं। इसी तरह बिजनौर से बसपा के मलूक नागर सांसद हैं। यहां से रालोद ने गुर्जर बिरादरी के चंदन चौहान को मैदान में उतारा है।
यह सीट 2004 और 2009 में रालोद के पास थी, जबकि 2014 में भाजपा के भारते सिंह विजयी रहे। चंदन के पिता संजय चौहान 2009 से 14 तक विधायक रहे हैं। यह सीट दलित और मुस्लिम बहुल है। लेकिन गुर्जर, सैनी मतदाता भी हैं।
रालोद के मीडिया सेल का गठन
रालोद के मीडिया सेल का गठनलखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल ने नए सिरे से मीडिया सेल का गठन किया है। राष्ट्रीय स्तर पर भूपेंद्र चौधरी को संयोजक एवं अलि दुबे सहित छह को प्रवक्ता बनाया गया है। इसी तरह प्रदेश स्तरीय सेल में सुनील रोहटा को संयोजक एवं 10 लोगों को प्रवक्ता बनाया गया है इसी तरह राजस्थान के लिए दो प्रवक्ता बनाए गए हैं।