राहुल गाँधी, भाजपा के बनाए जाल में फंस गए? रायबरेली से बीजेपी बदल देगी अपना प्रत्याशी? बीजेपी ने बनाई रणनीति!

गांधी परिवार का अभेद किला इस बार ढेर हो जायेगा। फिरोज गाँधी, इंदिरा गांधी, सोनिया के बाद राहुल। आखिरी समय में उम्मीदवार घोषित कर कौंग्रेस ने गलती की

Update: 2024-05-03 06:04 GMT

दिल्ली: काँग्रेस ने नामांकन के आखिरी दिन कई दिनों से चर्चाओं में रायबरेली सीट से राहुल गाँधी को उम्मीदवार घोषित कर दिया।

रायबरेली सीट पर 20 मई को 5 वे चरण में वोट डाले जाएंगे और आज 3 मई शुक्रवार शाम 5 बजे तक नामांकन भरे जाएंगे।

भाजपा पहले काँग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार करती रही जब काँग्रेस ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की तो नामांकन के आखिरी दिन से एक दिन पहले बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

दिनेश प्रताप सिंह 2010 से लगातार MLC है और वर्तमान में प्रदेश में मंत्री भी है।

दिनेश प्रताप सिंह कभी गांधी परिवार के बहुत करीबी थे परन्तु 2018 मे वे बीजेपी मे आ गए।

फिरोज़ गांधी (1952, 1957)

अगर हम रायबरेली लोकसभा सीट की बात करे तो ये हमेशा से ही गाँधी परिवार का गढ़ रहा है यहाँ से राहुल गाँधी के दादा फिरोज गाँधी पहली लोकसभा 1952 मे चुने गए फिर 1957 मे चुने गए।

इंदिरा गाँधी (1967,1971,1980)

1967 और 1971 मे इंदिरा गाँधी यहाँ से चुनी गई।

स्वतन्त्र भारत की सबसे बड़ी घटना देश में आपातकाल लगने की बजह रायबरेली लोकसभा ही रहा। 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनावी कदाचार के आधार पर 1971 मे रायबरेली लोकसभा से जीती इंदिरा गांधी के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया उस समय देश की प्रधानमंत्री थी और 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान पर विजय हासिल कर देश के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित हो चुकी थी और फिर उच्च न्यायालय का निर्णय उनके लिए अप्रत्याशित था।

25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया।

1977 के लोकसभा चुनाव मे जनता पार्टी के राज नारायण ने इंदिरा गाँधी को हरा दिया पहली बार गाँधी परिवार के हाथो से ये सीट निकली।

अरुण नेहरू (1980,1984)

1980 के चुनाव में इंदिरा गाँधी रायबरेली और उस समय के आन्ध्र प्रदेश राज्य की मेदक लोकसभा सीट से विजय हुई परन्तु उन्होंने रायबरेली सीट छोड़ दी और रायबरेली से उनके ही परिवार के अरुण नेहरू 1980 के उपचुनाव और 1984 मे विजयी रहे।

शीला कौल (1989, 1991)

गाँधी परिवार की ही शीला कौल ने 1989, और 1991 का चुनाव भी जीता।

शीला कौल का विवाह कैलाश नाथ कौल से हुआ जो पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के भाई थे और वनस्पति-विज्ञानिक थे जिन्होंने National Botanical Research Institute की लखनऊ में स्थापना की।

अशोक सिंह, बीजेपी (1996, 1998)

1996 और 1998 के चुनाव में बीजेपी के अशोक सिंह जीते, 

1996 के चुनाव में काँग्रेस के प्रत्याशी शीला कौल के बेटे विक्रम कौल चौथे नंबर पर रहे दूसरे नंबर पर जनता दल और तीसरे नंबर पर बसपा उम्मीदवार रहे।

1998 के चुनाव मे भी यही हालत रहे काँग्रेस की प्रत्याशी दीप कौल जो कि शीला कौल कि बेटी थी वो चौथे स्थान और दूसरे पर समाजवादी पार्टी और तीसरे पर बसपा रही।

सोनिया गांधी (2004,2006,2009,2014,2019)

गाँधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा जीते और 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी यहाँ से चुनाव जीती। 2006 में हुए उपचुनाव में फिर से सोनिया गांधी यहाँ से जीती गौरतलब है कि 2004 मे काँग्रेस की सरकार बनने के बाद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने और सोनिया गाँधी को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बनाया गया, लाभ के पद के विवाद के बाद सोनिया गाँधी ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष पद और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था उसके बाद 2006 मे रायबरेली में उपचुनाव हुआ। सोनिया गाँधी ने 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार जीत हासिल की और यहाँ से 5 बार संसद चुनी गई।

2024 का चुनाव सोनिया गाँधी ने लड़ने से मना कर दिया और राजस्थान से राज्यसभा चुनी गई।

2024 के चुनाव में काँग्रेस पार्टी ने राहुल गाँधी को उम्मीदवार बनाया है।

अब हम अगर 2024 के चुनाव की बात करे तो इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीट है जिसमें सिर्फ एक रायबरेली सदर सीट बीजेपी की अदिति सिंह के पास है अन्य 4 सीट बछरावां,हरचंदपुर,सरेनी और ऊंचाहार सीट समाजवादी पार्टी ने जीती थी परंतु ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडे अब बीजेपी के साथ है।

भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह 2019 का चुनाव भाजपा से ही लड़ें थे परन्तु सोनिया गाँधी ने उन्हें 1,67,848 वोटों से हराया था। काँग्रेस का समाजवादी पार्टी से गठबंधन नहीं था परंतु उन्होंने और बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा था।

भाजपा अमेठी के बाद रायबरेली सीट जितने कि पूरी कोशिश ने है और लोगों को लगता है राहुल गाँधी के सामने दिनेश प्रताप सिंह मजबूत उम्मीदवार नहीं है तो हो सकता है कि बीजेपी किसी बड़े नाम को राहुल गाँधी के सामने उतार दे वैसे आज नामांकन का आखिरी दिन है।

राहुल गाँधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे है और वहा दूसरे चरण 26 अप्रैल को चुनाव हो चुका है ऐसे हालातों में भाजपा मतदाताओं ने ये भी प्रचारित करेगी कि राहुल गाँधी वायनाड से हार रहे है इसलिए रायबरेली का रुख किया है।

जनता का क्या रुख रहेगा ये तो चुनाव परिणाम ही बतायेगा।

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