दिल्ली में और बढ़ी उपराज्यपाल की शक्ति, केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तकरार शुरू
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की शक्तियों को और बढ़ा दी है। अब दिल्ली के एलजी राजधानी में किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय का गठन और किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकते हैं। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है।
गृह मंत्रालय ने अधिसूचना में बताया कि राष्ट्रपति ने सक्सेना को यह अधिकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के तहत दिए हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए और अगले आदेशों तक उक्त अधिनियम की धारा 45 डी के खंड (क) के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके तहत वह किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन कर सकेंगे। चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए। इसके अलावा वह ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकेंगे।
इससे पहले ये अधिकार दिल्ली सरकार के पास थे। वहीं अब केंद्र सरकार ने यह अधिकार दिल्ली के एलजी को दे दिए हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकराव बढ़ गया है। इस मुद्दे पर दिल्ली के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब बात उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही की आती है तो एलजी साहब काम नहीं कर रहे हैं। हजारों डॉक्टरों की भर्ती करनी है। अस्पतालों में पद सृजित करने हैं। हजारों बेचारे बस मार्शल बेरोजगार हो गए हैं। एलजी साहब ने ये सब बंद कर दिया है। और जब अधिकार हासिल करने की बात आती है तो वो और भी ज्यादा अधिकार ले रहे हैं। क्यों ले रहे हैं? ताकि वो अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर सकें।
उन्होंने आगे कहा कि वो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के जरिए मशहूर होने के लिए सालाना डेढ़ करोड़ रुपये में सोशल मीडिया कंपनी को हायर कर रहे हैं। चुनी हुई सरकार के अधिकार छीने जा रहे हैं और नियुक्त लोगों को अधिकार दिए जा रहे हैं। जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है तो वो चाहते हैं कि पूरी दिल्ली एलजी चलाए क्योंकि बीजेपी चुनाव नहीं जीत पा रही है। इसलिए बीजेपी पिछले दरवाजे से दिल्ली पर कब्जा करना चाहती है लेकिन ऐसा नहीं होगा।