पीएम मोदी दुनिया के देशों का दौरा करते हैं लेकिन अपने देश के मणिपुर नहीं जाते: कांग्रेस नेता जयराम रमेश

Update: 2024-09-27 08:14 GMT

नई दिल्ली। हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस बार अधिक बदलाव देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पीएम के चेहरे को देखिए। वह घबराए हुए हैं। वह ज्यादा बोलते नहीं हैं। वह दुनिया के देशों का दौरा करते हैं लेकिन मणिपुर नहीं पहुंचे हैं। वह किसानों, आरक्षण या जाति आधारित जनगणना के बारे में बात नहीं करते हैं। बहुत कुछ चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार पर निर्भर करता है। मगर एक बात तो तय है कि संसद में भारत गठबंधन मजबूत है और लोकसभा और राज्यसभा में हमारे विपक्ष के नेता आक्रामक तरीके से मुद्दे उठा रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है कि सरकार घबराई हुई है।

बता दें भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में 3 मई 2023 को इम्फाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतै लोगों और कुकी जनजाति लोगों सहित आसपास की पहाड़ियों के आदिवासी समुदाय के बीच एक नृजातीय झगड़ा छिड़ गया। यह विवाद भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए मैतै लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग से जुड़ा है, जो उन्हें आदिवासी समुदायों के बराबर विशेषाधिकार प्रदान करेगा। मणिपुर में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार ने फरवरी महीने में संरक्षित इलाकों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया था, तभी से तनाव था। लोग सरकार के इस रुख का विरोध कर रहे थे लेकिन हालात बेकाबू तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश से हुआ। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करे जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी।

तीन कृषि कानूनों को वापस लाने वाले मांग पर पीएम मोदी चुप रहते है

जयराम रमेश ने तीन कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान पर कहा कि भाजपा ने चुनाव के दौरान '400 पार' और संविधान बदलने की बात की। हमारे गैर-जैविक पीएम चुप रहते हैं और दूसरों से बयान दिलवाते हैं। तीनों काले कानूनों को वापस लाने की मांग बीजेपी की तरफ से हर दिन आती है। पीएम और 'स्वघोषित' चाणक्य ने सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण पर 50% की सीमा हटाई जाएगी तो यह मुद्दा बहुत बड़ा होगा। इस बार हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा बहुत बड़ा होगा। 

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