विपक्षी दल सरकारी नौकरियों का उठा रहे मुद्दा तो BJP का फोकस स्वरोजगार पर, युवाओं को साधने की जुगत
कांग्रेस के उलट भाजपा का अधिक जोर युवाओं को स्वावलंबी बनाने और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने पर है। भाजपा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आठ लाख को सरकारी नौकरी देने, सवा लाख स्टार्टअप से युवाओं की जिंदगी बदलने और संगठित क्षेत्र में 1.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने का हवाला दे रही है।
देश के मतदाताओं में दो तिहाई हिस्सेदारी युवाओं की है। इसमें से भी 22 फीसदी हिस्सा 18 से 29 साल के उन युवाओं का है...जिन्हें रोजगार की सबसे अधिक जरूरत है...लेकिन, अहम सवाल यह है कि क्या इस बार वाकई रोजगार का सवाल चुनावी मुद्दों के केंद्र में होगा? क्या वाकई यह चुनाव युवाओं के साधने के सियासी तौर तरीकों को बदल पाएगा?
सबसे ज्यादा ऊर्जा व संभावनाएं युवाओं में ही होती हैं। वह लोकतंत्र से अर्थतंत्र तक की रीढ़ है। लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिए उसे भी मजबूत करना होगा। यही वजह है कि पिछले चुनावों की तरह इस बार भी राजनीतिक दलों के केंद्र में युवा वर्ग ही है। उसे साधने के लिए सभी दलों और गठबंधनों ने रोजगार को बड़ा सवाल बनाया है।
कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया ब्लॉक सरकारी नौकरियों के प्रस्तावों-वादों से इनका समर्थन हासिल करना चाहता है तो सत्तारूढ़ एनडीए सरकारी नौकरियों के इतर रोजगार सृजन के साथ स्वरोजगार पर जोर और मोदी सरकार की 10 साल की उपलब्धियों के जरिये इन्हें साधने की कोशिश में है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान सरकारी नौकरी के अवसर कम होने को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, मोदी सरकार युवाओं के हित के लिए स्वरोजगार पर ज्यादा फोकस कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार युवा वर्ग को पांच में से एक जाति बता चुके हैं। वह कहते हैं कि उनकी सरकार युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनाना चाहती है।
कांग्रेस का दांव
युवा वर्ग को लुभाने के लिए कांग्रेस ने न्याय गारंटी में कई घोषणाएं की हैं। इनमें 30 लाख लोगों को सरकारी नौकरी, पहली पक्की नौकरी और प्रत्येक स्नातक एवं डिप्लोमा पास युवा को एक वर्ष के लिए एक लाख रुपये सालाना तक की अप्रेन्टिसशिप की सांविधानिक गारंटी का भरोसा दिया गया है। राहुल जोर-शोर से इसका जिक्र कर रहे हैं। साथ ही, पेपर लीक का मुद्दा भी उठा रहे हैं।
भाजपा का जोर स्वावलंबन पर
कांग्रेस के उलट भाजपा का अधिक जोर युवाओं को स्वावलंबी बनाने और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने पर है। भाजपा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आठ लाख को सरकारी नौकरी देने, सवा लाख स्टार्टअप से युवाओं की जिंदगी बदलने और संगठित क्षेत्र में 1.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने का हवाला दे रही है। पार्टी का जोर पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत मामूली ब्याज पर ऋण और स्वनिधि योजना के साथ रेहड़ी-पटरी वालों के जीवन में आए बदलावों की चर्चा कर इन वर्गों को अपने साथ मजबूती से जोड़ने पर भी है।
स्वावलंबी व आत्मनिर्भर युवा बदल देता है देश का भाग्य- नरेंद्र मोदी (विभिन्न कार्यक्रमों में)
भारत जिस तरह प्रगति के लिए, आत्मनिर्भरता के लिए, ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए चौतरफा काम कर रहा है, युवा इसे देख रहा है। इन प्रयासों से उनका भी आत्मविश्वास बढ़ेगा। आत्मविश्वास से भरा युवा कहीं भी हो, देश का भाग्य बदल देता है। हमारी सरकार युवाओं को स्वावलंबी बनाने पर काम कर रही है। वह नौकरी लेने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बन रहा है। मजबूत, आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण के सपने को साकार करने के लिए युवाओं का सशक्त होना जरूरी है। भारत को विश्वगुरु बनाने में उनकी भूमिका अहम है।
पेपर लीक पर कानून, युवाओं के लिए स्टार्ट अप फंडिंग- राहुल गांधी (विभिन्न रैलियों में)
कांग्रेस सार्वजनिक परीक्षाओं में किसी भी तरह की सांठगांठ या षड्यंत्र को रोकने के लिए और ईमानदारी एवं निष्पक्षता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नए कानूनों की गारंटी देती है। सत्ता में आने पर नए कानून लाकर पेपर लीक को पूरी तरह से रोकेंगे, जिससे मौजूदा समय में करोड़ों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। स्टार्टअप के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाएंगे। 40 साल से कम उम्र के युवा किसी भी क्षेत्र में अपने कारोबार के लिए इस फंडिंग का लाभ उठा सकते हैं। युवाओं को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी।
संसद को भी बनाना होगा युवा
2019 के लोकसभा चुनाव में 543 में से 70 सांसद ही ऐसे थे, जिनकी आयु 40 वर्ष से कम थी। बाकी 87% सांसदों की उम्र 40 वर्ष से अधिक थी। आबादी से तुलना करें तो यह आंकड़ा मुंह चिढ़ाता नजर आता है। देश की 67 फीसदी आबादी 40 वर्ष से कम की है, मगर प्रतिनिधित्व में हिस्सेदारी 12.89 फीसदी ही है। बाकी 33 फीसदी जनसंख्या का संसद में प्रतिनिधित्व 87 फीसदी था। 16वीं लोकसभा में 40 वर्ष से कम आयु के सांसदों की हिस्सेदारी 8 फीसदी ही थी।
फेल हुआ था कांग्रेस का वादा
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने हर परिवार को न्यूनतम आय गारंटी के तहत हर साल 72,000 रुपये देने का वादा किया था।
जवाब में सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये देने की घोषणा की, जो कांग्रेस की आय गारंटी पर भारी पड़ी।