इस आधार पर हम दोबारा परीक्षा कराए जाने के आदेश नहीं दे सकते... जानें कोर्ट ने क्या रखी शर्त
नई दिल्ली। नीट-यूजी परीक्षा पेपर लीक मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जल्द सुनवाई हो क्योंकि लाखों छात्र इस मामले में नतीजे का इंतजार कर रहे हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा दोबारा परीक्षा कराने की सबसे बड़ी शर्त है कि ठोस आधार पर यह साबित होना जरूरी है कि बड़े स्तर पर परीक्षा प्रभावित हुई है लेकिन सीजीआई ने ये भी कहा है कि केवल इसलिए कि 23 लाख में सिर्फ 1 लाख को ही दाखिला मिलेगा इस आधार पर हम दोबारा परीक्षा कराए जाने के आदेश नहीं दे सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील नरेंद्र हुड्डा से सीजेआई ने कहा कि यह साबित होना चाहिए कि पेपर लीक की वजह से परीक्षा प्रभावित हुई। यदि आप वैचारिक रूप से यह स्थापित करते हैं कि दागी और बेदाग के बीच अंतर करना संभव नहीं है तो पूरी परीक्षा को रद्द करना होगा।
आप हमें संतुष्ट करें कि पेपर लीक बड़े लेवल पर हुआ है और परीक्षा रद्द होनी चाहिए और दूसरा इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हुड्डा से नीट कटऑफ के बारे में पूछा। जवाब देते हुए नरेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया कि 164 से अधिक अंक प्राप्त करना उत्तीर्ण होने के बराबर है जिससे उम्मीदवारों को 50वें पर्सेंटाइल से ऊपर रखा जाता है।
बता दें 5 मई को एनटीए ने नीट यूजी परीक्षा आयोजित किया था। नतीजों में टॉपर्स की संख्या, ग्रेस मार्क्स, कट-ऑफ आदि को लेकर उठे सवालों के आधार पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।