NEET-UG 2024 परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक बात तो साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है, 11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को नीट यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने एनटीए, केंद्र और सीबीआई को बुधवार यानी 10 जुलाई को शाम 5 बजे हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाल दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जांच अधिकारी से कहा कि वह एकत्रित की गई सामग्री को उसके समक्ष प्रस्तुत करें, जिसका इस बात पर प्रभाव पड़ेगा कि लीक पहली बार कब हुआ और इसकी कार्यप्रणाली क्या थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन उम्मीदवारों की पहचान करने को कहा जिन्हें नीट-यूजी पेपर लीक से फायदा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन केंद्रों/शहरों की पहचान करने को भी कहा जहां लीक हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बात तो साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक स्वीकार्य तथ्य है। कोर्ट ने कहा कि लीक की प्रकृति कुछ ऐसी है जिसका हम पता लगा रहे हैं। आप केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते क्योंकि 2 छात्र कदाचार में शामिल थे। इसलिए, हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए। दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के बारे में सचेत रहना चाहिए क्योंकि हम 23 लाख छात्रों से निपट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने इस गड़बड़ी के लाभार्थी छात्रों की पहचान करने के लिए क्या कार्रवाई की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि लीक होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं। कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र कहां हैं- उनके भौगोलिक वितरण के अनुसार? क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान करने में सक्षम हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि देश भर के विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक समिति होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अध्ययन की सबसे प्रतिष्ठित शाखा से निपट रहे हैं और हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, हम लाभार्थियों की पहचान कैसे करेंगे और क्या हम काउंसलिंग होने दे सकते हैं और अब तक क्या हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे बताया गया है कि पटना, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड में एफआईआर दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक से जुड़ी एफआईआर सिर्फ पटना तक सीमित है या नहीं, इस पर विस्तृत विचार की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात की जांच करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ है, क्या उल्लंघन ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित किया है, क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां उल्लंघन प्रक्रिया की संपूर्णता को प्रभावित करता है और लाभार्थियों को दूसरों से अलग करना संभव नहीं है, फिर से परीक्षा का आदेश देना आवश्यक हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि जहां उल्लंघन विशिष्ट केंद्रों तक ही सीमित है और गलत काम के लाभार्थियों की पहचान करना संभव है, ऐसी परीक्षा को फिर से आयोजित करने का आदेश देना उचित नहीं हो सकता है, जो बड़े पैमाने पर आयोजित की गई है।