कांवड़ मार्ग पर नाम-पहचान का मामला : टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कल याचिका दायर की थी, आज ही फैसला आ गया, विपक्ष ने किया फैसले का स्वागत

Update: 2024-07-22 09:39 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिकों के नाम लिखने के यूपी सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें सिर्फ यह बताने की जरूरत है कि उनके पास कौन-से और किस-प्रकार के खाद्य पदार्थ है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कई नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। टीएमसी सांसद और याचिकाकर्ता महुआ मोइत्रा ने कहा कि मुझे खुशी है, हमने कल याचिका दायर की थी और आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आया। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ एक पूरी तरह से असंवैधानिक आदेश है। मालिकों और कर्मचारियों की पहचान और नाम प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। दुकानों में केवल वेज/नॉन-वेज चिह्न ही लगाया जाना है।

कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यह अच्छा है कि उन्होंने कहा है कि नामपट्टिका लगाने की कोई जरूरत नहीं है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। आज नाम होगा, कल जाति लिखने को कहेंगे। इससे सिर्फ भेदभाव बढ़ेगा। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा नाजियों ने यहूदियों से डेविड का सितारा लगाने को कहा था, ताकि दूसरे लोग अलग-थलग पड़ जाएं और सामाजिक बहिष्कार हो।

तो वहीं भीम आर्मी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि कांवड़ यात्रा होती रही है और होती रहेगी लेकिन इसके नाम पर जो दुरुपयोग और प्रयोग हुआ है, उसे लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। जनता और संविधान किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है लेकिन सत्ता में बैठे लोग यह समझने को तैयार नहीं हैं। इसका खामियाजा उन्हें लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं। हमें आशंका थी कि इस नियम से समाज बंट जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया। मैं इसके लिए आभारी हूं।

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