मुस्लिम बढे हिंदू घटे पर सियासत तेज! मुद्दा - देश के लिए चिंता का विषय या नफरत फैलाने का एजेंडा! चोट कांग्रेस पर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि देश में हिंदुओं की आबादी में 7.8 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि इसी दौरान (1950-2015) मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है। इस विषय पर बृहस्पतिवार को दिन भर पक्ष और विपक्ष के बीच बहस छिड़ी रही। जहां साधु संतों के अलावा भाजपा के दिग्गज नेताओं ने हिंदुओं की घटती जनसंख्या को देश के लिए चिंता का विषय बताया वहीं इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इसे भाजपा का नफरत फैलाने का एजेंडा बताया।
रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुओं की आबादी 7.82% घटी है जबकि मुसलमान की आबादी 43.15% बढी है वहीं इसाई की आबादी 5.38%, सिख की आबादी 6.59% बढी है जबकि पारसी 35% घटी है, जैन भी 20% घटी है। देश में चल रहे चुनाव के बीच आई इस रिपोर्ट पर तटस्थ रहने वाले बुद्धिजीवियों का कहना है कि अगर हम समावेशी विकास की बात करते हैं तो जनसंख्या भी समान होनी चाहिए। वही विभिन्न दलों के नेताओं का अलग-अलग तर्क है। सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि जहां-जहां हिंदू घटा देश बँटा है, यह इतिहास बताता है। वहीं विश्व हिंदू परिषद के सुरेंद्र जैन ने कहा कि बांग्लादेशी और घुसपैठियों से मुसलमानों की आबादी बढ़ी है यह एक खतरनाक संकेत है। इसके पीछे कांग्रेस और कई दलों की साजिश रही है। उधर भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने भी इसके लिए कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि मुसलमान की बढ़ती आबादी कांग्रेस की तुष्टिकरण का नतीजा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदू घटे हैं यह चिंता का विषय है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर पूरे देश में' एक समान जनसंख्या कानून' लाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जब किसी देश की मूल आबादी की तुलना में किसी दूसरे वर्ग की आबादी बढ़ती है तो देश के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं।
दूसरी तरफ प्रियंका गांधी ने गिरिराज सिंह के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि भाजपा रोज कुछ ना कुछ नया मुद्दा लेकर आती है। मुद्दा आबादी नहीं है, मुद्दा महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार, किसानों की समस्या है। वहीं बिहार में तपस्वी यादव ने कहा कि यह बीजेपी का नफरत फैलाने वाला एजेंडा है। खास बात यह भी है कि असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सीधा कोई जवाब नहीं दिया बल्कि इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाया। इसी तरह का सवाल कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने भी किया। उन्होंने कहा कि 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है तो यह आंकड़े कहां से आए। बहरहाल बहस जारी है।