विपक्षी दलों के सांसद मणिपुर की यात्रा पर, जमीनी हालत जानने के बहाने राजनीति की तैयारी

कुल मिलाकर कर देखते हैं तो मणिपुर का मामला दिन ब दिन उलझता जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार हिंसा को शांत करने में नाकामयाब साबित हो रही है । वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल अपनी राजनीति करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

Update: 2023-07-29 08:04 GMT

मणिपुर मामले (Manipur) में सोमवार से संसद (Parliament) के अंदर चर्चा शुरू होने वाली है। उससे ठीक पहले विपक्ष (Opposition) का नया गठबंधन इंडिया (INDIA) और उसके सांसद 8 सुबह मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाकों में दो दिवसीय दौरे के लिए निकल पड़े हैं। दरअसल यह सांसदों का कहना है कि वे जाति हिंसा से प्रभावित राज्य मणिपुर की जमीनी स्थिति का आकलन करने जा रहे है। यह प्रतिनिधिमंडल अपने आकलन के अनुसार मणिपुर की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार और संसद को सुझाव देंगे।कांग्रेस (Congress) नेता और राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन के साथ 16 सांसदों की टीम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने जा रहे हैं । इस दौरान वे घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों से भी मिलेंगे।

नासिर हुसैन ने बताया कि इस दौरान वे दो जगह पर दो राहत शिविरों का दौरा करेंगे। इसके लिए सबसे पहले वे मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से रविवार को मुलाकात करने जा रहे हैं। कुल मिलाकर कर देखते हैं तो मणिपुर का मामला दिन ब दिन उलझता जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार हिंसा को शांत करने में नाकामयाब साबित हो रही है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल अपनी राजनीति करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। पिछली बार जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) गए थे उसके बाद दंगे और ज्यादा भड़क गए थे ।साथ ही राहुल गांधी को मणिपुर में राहत शिविरों में जाने से भी रोका गया था।

इस बार विपक्ष के 16 सांसद मणिपुर जाने के इरादे से निकले तो हैं ।पर वे लोगों तक पहुंच पाएंगे या नहीं यह भी एक सवाल है ।मणिपुर के हालात इतने खराब है कि वहां के लोग खुद राज्य छोड़कर मिजोरम और आसपास के राज्यों में जा बस रहे हैं ।इन हालातों में सेना और विशेष टीमें भी सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इन सांसदों को रोका जा सकता है। साथ ही साथ यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह सांसदों के मणिपुर जाने से माहौल और भी खराब हो सकता है ।

जहां एक तरफ केंद्र सरकार और राज्य सरकार मणिपुर को शांत करने में लगे हैं। वहीं विपक्षी दल इस बात का फायदा उठाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं । यही कारण है कि विपक्ष ने पहले संसद की कार्यवाही में अड़ंगा डालते हुए एक भी दिन चर्चा नहीं होने दी और उसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को पेश कर दिया। जिससे किसी तरह से यह सत्र बर्बाद हो जाए ।बात साफ है । मुद्दा मणिपुर की जनता का नहीं मुद्दा विपक्ष की राजनीति का है विपक्ष को मणिपुर की जनता से ज्यादा आने वाले चुनाव में अपने आप को साबित करने का है ।इन दो दिनों की विपक्षी दलों की यात्रा से माहौल और ना बिगड़े इसी की कोशिश की जा सकती है  देखना होगा विपक्ष के इस यात्रा का मणिपुर और संसद के मॉनसून सत्र पर क्या असर पड़ता है।

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