मणिपुर हिंसा पर निकलेगा जल्दी ही समाधान! केंद्र की तैयारियां शुरू

सूत्रों का कहना है कि मई से पहले हुई बातचीत में आदिवासी मुद्दे का राजनीतिक समाधान खोजने पर केंद्रित यह सारी बैठक के थी। लेकिन अब इस बार सारी बैठकर बातचीत केवल और केवल राज्य में चल रही हिंसा को रोकने के लिए की जा रही है।

Update: 2023-07-27 08:04 GMT

पिछले 3 महीनों से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर (Manipur) में जारी हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार (Central Govt) अपने स्तर पर काम करने में लग गई है। दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को मणिपुर के को कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ केंद्र सरकार ने बातचीत की। इसके साथ ही केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक आईबी अधिकारी ने मैतई नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि पूर्वोत्तर के लिए केंद्र सरकार के प्रभारी इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व अतिरिक्त निदेशक अक्षय मिश्रा को सरकार ने मामला सुलझाने की जिम्मेदारी दी है ।

अक्षय मिश्रा (Akshay Mishra) सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के समझौते के तहत कुकी आतंकवादी समूहों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे है। इसके अलावा केंद्र सरकार के प्रतिनिधित्व करने वाले आईबी अधिकारी के साथ मणिपुर इंटीग्रिटी के लिए समन्वय समिति के प्रतिनिधियों के साथ एक अलग दौर की बातचीत हो रही है। यह एक मैतई नागरिक समाज संगठन है ।वैसे तो कुकी समुदाय के साथ यह बातचीत पिछले कई महीनों से चल रही है और मई के महीने में जब राज्य में अशांति नहीं फैली थी । तब कुकी समुदाय शांति समझौते को लेकर लगभग तैयार हो चुके थे। लेकिन हिंसा भड़कने के बाद कई दौर की बातचीत हुई पर भी बेनतीजा ही रही। सूत्रों का कहना है कि मई से पहले हुई बातचीत में आदिवासी मुद्दे का राजनीतिक समाधान खोजने पर केंद्रित यह सारी बैठक के थी। लेकिन अब इस बार सारी बैठकर बातचीत केवल और केवल राज्य में चल रही हिंसा को रोकने के लिए की जा रही है। मैतई समाज के द्वारा मंगलवार को एक बयान जारी किया गया । जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार को कुकी समुदाय से कोई बातचीत नहीं करनी चाहिए क्योंकि राज्य में जो भी हो रहा है उसके लिए पूरी तरह से यही समुदाय जिम्मेदार है ।

तो कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि जहां एक तरफ विपक्ष केवल मुद्दे बनाने में लगा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ राज्य और केंद्र सरकार किसी तरह से मणिपुर को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। और यह कोशिश अभी से नहीं मई महीने से हो रही है। जब मणिपुर में शांति थी इसी तरह से कोई भी हिंसा नहीं हुई थी पर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती गई। जिसके कारण हिंसा भड़क गई और लोगों को काफी नुकसान भी हुआ। फिर भी सरकारी नहीं रुकी और वे लगातार दोनों समुदायों के प्रमुख नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही इस मामले में कोई समाधान निकले और मणिपुर पहले जैसा शांत हो पाए। यह मुद्दा राजनीति का नहीं बल्कि मानवता के साथ सोच समझकर करने वाली चीज है। यही चीज केंद्र सरकार और राज्य सरकार मानती है । इसीलिए इस्तीफे जैसे चीजों से समाधान निकालना मुश्किल है। इस बात का एहसास दोनों ही सरकारों को है इसीलिए इस मामले पर शांत रहकर मणिपुर की हिंसा को रोकने की कोशिश में लगे हुए हैं । देखना होगा यह बातचीत कब और कितने जल्दी रंग लाती है।

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