UPSC में लेटरल एंट्री: पक्ष विपक्ष में छिड़ा सियासी रण, जानें किनका क्या है कहना

Update: 2024-08-20 12:22 GMT

नई दिल्ली। UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर आज केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इसको लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। अब इसपर सियासी रण छिड़ गया है। विपक्षी के लोग केंद्र सरकार के ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि वह आरक्षण को खत्म करके पिछड़े वर्गों पर तानाशाह कायम करना चाहती है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ये सीधी बहाली 45 पदों के लिए थी। ये पहले UPSC के माध्यम से होता था। पहली बार एक साथ सीधी भर्ती थी। पिछले 4 साल में कुछ 50-60 लोग सीधी भर्ती से आए हैं। ये सरकार के आदेश पर किया था। कल तक ये मनमोहन सिंह और नेहरू के लिए कह रहे थे कि ये उनके जमाने से होता रहा है और आज क्या हुआ। आरक्षण को खत्म करने का ये पहला कदम था। सभी लोग जब उन पर कूद पड़े तब पीछे हट गए। इस बार हकीकत ये है कि 2 दिन में प्रधानमंत्री ने हार मान ली। अभी आगे और हार मानेंगे। ये संविधान की जीत है।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने इस मुद्दे को सबसे पहले उठाया है। भाजपा लेटरल भर्ती के बहाने आरक्षण को समाप्त करना चाहती है और संविधान के खिलाफ काम कर रही है। भाजपा किसी भी कीमत पर नहीं चाहती कि SC-ST समाज सचिवालय में बैठे बल्कि ये लोग चाहते हैं कि शौचालय में बैठे बिना किसी परीक्षा और आरक्षण के IAS और IPS भर्ती हो जाएंगे। इसका मतलब संघ के लोगों की भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी क्या कर रहे हैं। इनके बदौलत सरकार है और वे सिर्फ देख रहे हैं। यह दोहरी नीति नहीं चलने वाली है। रामविलास पासवान ने अल्पसंख्यक के सवाल पर इस्तीफा दे दिया था और चिराग पासवान सिर्फ मलाई खाने का काम कर रहे हैं। देश की जनता, आदिवासी समाज इन नेताओं को देख रही है और समय पर इन्हें सबक सिखाने का काम करेगी।

वहीं इसपर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी और उनके खानदान की आरक्षण और SC-ST, OBC को लेकर जो खानदानी विरासत है वो किसी से छिपी हुई नहीं है और उनकी अज्ञानता भी किसी से छिपी नहीं है। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि भाजपा कैबिनेट के जो सचिव बने हैं वो किस बैच के हैं। उन्हें न पता हो तो हम बताते हैं कि वे 1987 बैच के हैं। जब राहुल गांधी की पार्टी और उनके पिता जी की सरकार थी तो उन्होंने क्यों OBC को आरक्षण नहीं दिया था।

भाजपा नेता डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री आरक्षण और SC, ST, पिछड़े वर्गों के खिलाफ नहीं हैं। विरोधी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि PM मोदी SC, ST, पिछड़े वर्गों के खिलाफ हैं। PM मोदी ने लेटरल एंट्री रद्द करके स्पष्ट रूप से संदेश दिया है कि मैं उनके साथ हूं।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि UPSC में लेटरल एंट्री का जो पारदर्शी निर्णय लिया था उसमें आरक्षण का सिद्धांत लगे ऐसा निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। NEET, मेडिकल एडमिशन, नवोदय विद्यालय में आरक्षण के सिद्धांत को लगाया। पीएम मोदी की प्रतिबद्धता है वो आज के UPSC में लेटरल एंट्री में आरक्षण का सिद्धांत लगाने के निर्णय में साफ दिखाई देती है। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार में लिए गए निर्णयों में आरक्षण के सिद्धांत का ध्यान नहीं रखा जाता था। इसका जवाब भी कांग्रेस को देना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि PM ने आज सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जो पिछले 3-4 दिनों से एक लेटरल एंट्री का विषय चल रहा था उसके लिए डॉ जितेंद्र सिंह जी ने एक पत्र UPSC को लिखा है कि जब तक आरक्षण के पूरे प्रावधान नहीं होते तब तक इसे विड्रॉ किया जाए। ये दर्शाता है कि पीएम सामाजिक न्याय के प्रतिबद्ध है। इस निर्णय के लिए हम पीएम की प्रशंसा करते हैं।

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