आरोपी या दोषी का घर गिराना गलत, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Update: 2024-11-13 05:48 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा अपराध के आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए "बुलडोजर कार्रवाई" पर फैसला सुनाते हुए बुधवार को कहा कि यह कानून का उल्लंघन है। किसी मामले पर आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर भी घर तोड़ना सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का राज होना चाहिए। इसमें गलत तरीके तोड़ने पर मुआबजा मिलना चाहिए। प्रशासन जज नहीं बन सकता। अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए। बिना किसी का पक्ष सुने उसपर सुनवाई नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने यह भी कहा कि उसने शक्ति के विभाजन पर विचार किया है और यह समझा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कैसे काम करती हैं। न्यायिक कार्यों को न्यायपालिका को सौंपा गया है और न्यायपालिका की जगह पर कार्यपालिका को यह काम नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक औसत नागरिक के लिए घर का निर्माण वर्षों की कड़ी मेहनत, सपनों और आकांक्षाओं का परिणाम है। घर सुरक्षा और भविष्य की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है और अगर इसे छीन लिया जाता है, तो अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यही एकमात्र रास्ता है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि संपत्ति के मालिक को 15 दिन का नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक से भेजा जाएगा और इसे संरचना के बाहरी हिस्से पर भी चिपकाया जाएगा। नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति, विशिष्ट उल्लंघन का विवरण और तोड़फोड़ के आधार शामिल होने चाहिए। तोड़फोड़ की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन अवमानना ​​को आमंत्रित करेगा।

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