क्या गाजियाबाद लोकसभा सीट से अतुल गर्ग मुसीबत में है या तोड़ेंगे रिकॉर्ड? क्या राजपूतों ने भाजपा के किले को घेर लिया? क्या समीकरण बन रहा है जानिए?
डॉली शर्मा को ब्राह्मण वोट जा रहे है? बसपा के पुंडीर ने लगायी राजपूतों मे सेंध?
गाजियाबाद: गाजियाबाद लोकसभा सीट पर प्रचार का आज अंतिम दिन है और 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे।
अगर हम गाजियाबाद पर नजर डालें तो NCR क्षेत्र में आता है और दिल्ली से लगा हुआ है और यूपी के नोएडा, मेरठ, हापुड़ बागपत से लगा हुआ है।
इस लोकसभा में 5 विधानसभा है, साहिबाबाद, गाजियाबाद शहर लोनी, मुरादनगर और हापुड़ जिले की धौलाना। सभी पांचो विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा है। साहिबाबाद देश की सबसे बड़ी विधानसभा है।
1976 मे मेरठ से अलग होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इसको जिला घोषित किया।
गाजियाबाद लोकसभा 2008 मे अस्तित्व मे आयी इससे पहले हापुड़ लोकसभा का हिस्सा थी जिसमें गाजियाबाद, मोदीनगर, मुरादनगर, हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट थी। गाजियाबाद लोकसभा के रूप में पहला चुनाव 2009 मे हुआ तब भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह का मुकाबला काँग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल से हुआ, जो काँग्रेस पार्टी के हापुड़ सांसद थे। इस चुनाव में राजनाथ सिंह ने 90,681 वोटों से काँग्रेस उम्मीदवार को हराया और बसपा उम्मीदवार अमर पाल शर्मा तीसरे स्थान पर रहे।
2014 के चुनाव में भाजपा के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह को मैदान में उतारा और काँग्रेस ने फिल्म अभिनेता राजबब्बर को तथा बसपा से मुकुल उपाध्याय लड़ें। काँग्रेस को उम्मीद थी राज बब्बर का जादू चलेगा पर मोदी लहर मे सब फेल और जनरल साहब ने साढ़े पांच लाख से अधिक मतों से किला फतह किया और बब्बर साहब ज़मानत भी नहीं बचा पाए। वीके सिंह को 56.51% वोट मिला और राजबब्बर सिर्फ 14.25%, बसपा के मुकुल को 12.89% वोट मिला। यहाँ जीत अन्तर इतना बड़ा था कि 2014 के चुनाव में सबसे बड़ी जीत प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बड़ोदरा से 5 लाख 70 हज़ार 128 वोटों से जीती और दूसरे नंबर पर गाजियाबाद सीट थी। पहली जीत और दूसरे नंबर की जीत में सिर्फ 2868 का अन्तर।
2019 के लोकसभा चुनाव में तो जैसे विपक्ष के हौसले पस्त हो चुके थे बीजेपी से फिर से अपने सांसद जरनल वीके सिंह को उम्मीदवार बनाया तो काँग्रेस ने ब्राह्मण वोटों को ध्यान रखते हुए युवा उम्मीदवार डॉली शर्मा को टिकट दिया और सपा ने पूर्व विधायक सुरेश बंसल को लड़ाया।
राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के आगे फिर से बीजेपी के वीके सिंह 61.93% वोट पाकर विजयी हुए और सपा को 29.06% और काँग्रेस की डॉली शर्मा 7.34% वोट ही मिले। इस बार भाजपा ने ये सीट 5 लाख से अधिक वोटों से जीती
और बीजेपी प्रत्याशी को पहले से लगभग 2 लाख वोट अधिक मिले।
लगातार तीन जीत से गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ बन चुका था।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वीके सिंह का टिकट काट दिया और शहर विधायक और पूर्व मंत्री अतुल गर्ग को उम्मीदवार बनाया और सपा-काँग्रेस के गठबंधन ने 2019 मे प्रत्याशी रही डॉली शर्मा पर दाव लगाया है। बसपा ने भाजपा से राजपूतों की नाराजगी देखते हुए नंद किशोर पुंडीर को टिकट दिया।
अब तक आप सभी जान चुके होंगे कि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ मे से एक है। अगर हम अभी कि बात करे तो बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती है राजपूतों कि नाराजगी, राजपूत कुछ टिकट कटने और केंदीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के बयान की बजह से नाराज बताये जाते है जबकि उन्होंने बाद में माफी भी माँग ली थी।
धौलाना विधानसभा के राजवीर सिंह बताते कि राजपूतों मे नाराजगी है पर वे वोट भाजपा को ही करेंगे हमे योगी-मोदी को जिताना है। वसुंधरा सेक्टर 13 मे रहने वाली रुचि शर्मा बताती है कि मुझे नहीं पता कि कौन उम्मीदवार है मुझे तो मोदी को वोट देना है। काँग्रेस प्रत्याशी डॉली शर्मा का मुस्लिम और ब्राह्मण वोटों पर अधिक जोर है उनके पिता नरेंद्र शर्मा ब्राह्मण समाज के नेता भी है। ये तो परिणाम ही बता पाएंगे कि डॉली शर्मा कितने बोट ले पाएँगी और बसपा उम्मीदवार कितनी राजपूत वोट मे सेंध लगा पायेगे। मुस्लिम समाज का एक तरफा वोट डॉली शर्मा को जाता दिख रहा है परन्तु फिर भी काँग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनौतियां बहुत है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है गाजियाबाद बीजेपी का मजबूत गढ़ है, सिर्फ भाजपा जीत के अन्तर के लिए लड़ रही है। कोई बड़ी बात नहीं की 2014 का रिकॉर्ड भी टूट जाए।
26 अप्रैल को वोट सभी जरूर डाले।
"पहले मतदान फिर जलपान "