भारतीय छात्रों का कनाडा से मोहभंग, परमिट में 86 फीसदी गिरावट; खालिस्तान से जुड़े विवाद का असर

Update: 2024-01-17 06:42 GMT

भारत और कनाडा के रिश्तों की तल्खी का असर शिक्षा पर भी पड़ रहा है। कनाडा सरकार का कहना है कि खालिस्तान मुद्दे पर विवाद के बीच भारतीय छात्रों का मोहभंग होने लगा है। भारत से जाने वाले छात्रों को मिलने वाले परमिट में लगभग 86 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। 

भारत और कनाडा के संबंध पहले जैसे नहीं है। निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान को लेकर भारत ने कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों पर कड़ा रूख अख्तियार किया है। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में शिक्षा भी अहम भूमिका निभाती है। बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई करने कनाडा जाते हैं। ताजा घटनाक्रम में भारतीय छात्रों का मोहभंग होने की बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा के आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने भी कहा है कि भारत से आने वाले छात्रों की संख्या निकट भविष्य में बढ़ेगी, इसकी संभावनाएं क्षीण हैं।

कम संख्या में आवेदन किए भारतीय छात्र

कनाडा जाने के लिए भारतीय छात्रों को जो परमिट मिलता है, उसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 86 फीसदी कम भारतीय छात्रों को परमिट मिले हैं। कनाडा सरकार के बड़े अधिकारी ने बताया है कि पिछले साल के अंत में परमिट में तेज गिरावट देखी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारत ने परमिट की प्रक्रिया पूरी करने वाले कनाडाई राजनयिकों को देश से बाहर निकाल दिया। खालिस्तान मुद्दे पर विवाद के बीच भारत की सख्ती का नतीजा यह भी हुआ कि कनाडा में पढ़ाई के लिए पहले की तुलना में काफी कम छात्रों ने आवेदन किए।

भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को निकाला

दोनों देशों के तल्ख रिश्तों के बीच आप्रवासन मंत्री मिलर का मानना है कि शिक्षा जगत पर इस तनाव का बुरा असर पड़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि तनाव के कारण भारत से आने वाले आवेदन कम हुए हैं। साथ ही इनको प्रोसेस करने में जुटे अधिकारियों की संख्या भी लगभग आधी हो चुकी है। बता दें कि बीते अक्तूबर में कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

अंतिम तिमाही में केवल 14,910 छात्रों को परमिट

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक तनाव के कारण पिछले साल की चौथी तिमाही में भारतीय छात्रों को जारी परमिट पिछली तिमाही की तुलना में 86 फीसदी गिरावट आई। जुलाई-सितंबर तिमाही में 1,08,940 परमिट जारी किए थे। अंतिम तिमाही में केवल 14,910 छात्रों को परमिट जारी किए गए। ओटावा में भारतीय उच्चायोग के एडवाइजर सी गुरुस उब्रमण्यम ने कहा, कुछ भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडाई संस्थानों में हॉस्टल और पढ़ाई के स्तर में कथित गिरावट के कारण भी दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

कनाडा के खजाने में सालाना 13.64 खरब रुपये का राजस्व

यह भी रोचक है कि 2022 में कनाडा जाने वाले कुल छात्रों में 41 फीसदी भारतीय (2,25,835 छात्र) थे। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के जाने से कनाडा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। अनुमान के मुताबिक सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर यानी 16.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होती है। भारतीय राशि में इतनी रकम 13.64 खरब रुपये होती है।

कनाडा क्यों है पहली पसंद?

आंकड़ों को लेकर मिलर ने कहा, राजनयिक संबंधों में कैसे सुधार होगा? इस सवाल का उनके पास ठोस जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि कनाडा की सरकार भारत के अलावा दूसरे देशों से आने वाले छात्रों की बड़ी संख्या की चुनौती से भी जूझ रही है। उन्होंने कहा कि संख्या नियंत्रण से बाहर हो गई है, जिस पर अंकुश लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि कनाडा पढ़ाई की पसंदीदा जगह इसलिए भी है क्योंकि कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को वर्क परमिट भी आसानी से मिल जाता है।

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