नमो ड्रोन दीदी के जवाब में कांग्रेस की नारी न्याय गारंटी, आधी आबादी के आशीर्वाद के लिए रणनीति

By :  Shashank
Update: 2024-03-15 03:07 GMT

अरसे बाद सशक्तीकरण की नई बयार देख रही देश की आधी आबादी धीरे-धीरे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही है। यह वर्ग मतदान के प्रति स्वतंत्र सोच के साथ नए वोट बैंक के रूप में उभरा है। सभी राजनीतिक दल महिलाओं को केंद्र में रखकर योजनाएं बना रहे हैं। बीते कुछ विधानसभा चुनावों की तरह इस बार भी यह वोट बैंक लोकसभा चुनाव में व्यापक असर डालने वाला है।

आजादी के बाद अब तक हुए 17 चुनावों में कई नए और अहम वोट बैंक बने हैं। हालांकि, पहली बार देश की आधी आबादी आगामी लोकसभा चुनाव के केंद्र में है। सशक्तीकरण की राह पर मजबूत कदम बढ़ा चुकी महिलाएं अचानक से देश की राजनीति में नए और बेहद अहम वोट बैंक के रूप में सामने आई हैं। ऐसा वोट बैंक, जिसने बीते पांच सालों में हुए 23 राज्यों में से 18 राज्यों के चुनावों में पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है। यही नहीं, वह अब स्वतंत्र सोच यानी स्वविवेक के आधार पर मतदान कर जनादेश को सीधे प्रभावित भी करने लगी है।

हाल-फिलहाल में सभी राज्यों ने महिलाओं को आर्थिक मदद देने का दांव खेला और सफलता भी हासिल की। योजनाओं के केंद्र में भी महिलाएं ही हैं। बीते साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव को ही देखिए। आधी आबादी ने यहां नई पटकथा लिखी। नतीजे आने के बाद पता चला कि भाजपा को हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में महिला वर्ग के अपार समर्थन का लाभ मिला। मध्यप्रदेश में शुरुआत में भाजपा पिछड़ती नजर आ रही थी, मगर लाडली बहना का ऐसा प्रचार-प्रसार हुआ कि विपक्षी दल कांग्रेस चुनौती ही नहीं पेश कर सकी। भाजपा को एकतरफा जीत हासिल हुई। वहीं, छत्तीसगढ़ में भाजपा ने महतारी वंदन योजना शुरू करने का वादा किया, तो महिलाओं ने भी भरोसा जताया। नतीजा यह निकला कि जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रही कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को शिकस्त का सामना करना पड़ा।

कर्नाटक को देखिए। विपक्षी कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह देने, आधी आबादी के लिए मुफ्त बस यात्रा साहित अन्य वादे किए। जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया और महिलाओं का भरोसा ऐसा जीता कि सत्तारूढ़ भाजपा को उखाड़ फेंका। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक वित्तीय सहायता देने का वादा कर कांग्रेस सत्ता में लौटी और सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनी। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएम महिला सम्मान योजना के तहत 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को प्रति माह 1,000 की सहायता देने की घोषणा की है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने भी आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पारिश्रमिक में 750 रुपये की मासिक बढ़ोतरी की घोषणा की है।

भाजपा: ड्रोन दीदी...शक्ति वंदन सशक्तीकरण पर कर रही भरोसा

भाजपा इस बड़े वोट बैंक को साधने के लिए महिला सशक्तीकरण का नारा गढ़ रही है। पार्टी के तरकश में संसद, विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने वाला नारी शक्ति वंदन अधिनियम है। महिलाओं को लखपति बनाने के लिए मोदी सरकार ने ड्रोन दीदी की शुरुआत की। इसे मिले समर्थन को देखते हुए सरकार ने लखपति दीदी योजना का दायरा एक करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ कर दिया है। भाजपा ने इसी वोट बैंक को साधने के लिए उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सिलिंडर पर मिलने वाली 300 रुपये की सब्सिडी को एक साल बढ़ाने और इसके बाद सभी परिवारों को 100 रुपये की अतिरिक्त छूट दी है। 2019 के चुनाव में उज्ज्वला ने भाजपा की ऐतिहासिक जीत की पटकथा लिखी थी। 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज योजना का विस्तार करने की घोषणा भी आधी आबादी को ही साधे रखने की कवायद है।

कांग्रेस: नारी न्याय गारंटी, नौकरी में आधी हिस्सेदारी

महिलाओं को साधने के लिए कांग्रेस ने पांच गारंटियों की घोषणा की। इसमें सर्वाधिक गरीब हर परिवार की एक महिला को एक लाख रुपये वार्षिक नकद देने का वादा किया गया है। यही नहीं, केंद्र सरकार की नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का भी वादा किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नारी न्याय गारंटी का एलान करते हुए कहा कि शक्ति के सम्मान में आशा, आंगनबाड़ी और मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं के मासिक वेतन में केंद्र सरकार का योगदान दोगुना किया जाएगा। अधिकार मैत्री के तहत हर पंचायत में महिलाओं को उनके हक के लिए जागरूक करने और जरूरी मदद के लिए अधिकार मैत्री के रूप में एक पैरा-लीगल यानी कानूनी सहायक की नियुक्ति की जाएगी। सभी जिला मुख्यालयों में कामकाजी महिलाओं के लिए कम से कम एक हॉस्टल बनाएंगे और पूरे देश में इन हॉस्टल की संख्या दोगुनी की जाएगी।

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