लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा- कूटनीति से सुधरे एलएसी पर हालात, जानें चीन के साथ संबंधो पर क्या कहा
नई दिल्ली। संसद सत्र का आज सातवां दिन है। अभी संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। आज मंगलवार को लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मैं भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं, जब चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ था। हाल के घटनाक्रम जो तब से हमारे निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव को दर्शाते हैं। उन्होंने हमारे संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में स्थापित किया है। सदन इस तथ्य से अवगत है कि 1962 के संघर्षों और उससे पहले की घटना के परिणामस्वरूप चीन ने अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से 5,180 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया, जो 1948 से उसके कब्जे में है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन ने सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कई दशकों तक बातचीत की है। सीमा विवाद के समाधान के लिए निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य रूपरेखा पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय चर्चा की गई। सदस्यों को याद होगा कि अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने के परिणामस्वरूप कई बिंदुओं पर हमारी सेनाओं के साथ आमना-सामना हुआ। इस स्थिति के कारण गश्ती गतिविधियों में भी बाधा उत्पन्न हुई। यह हमारे सशस्त्र बलों के लिए श्रेय की बात है कि रसद संबंधी चुनौतियों और तत्कालीन कोविड स्थिति के बावजूद वह तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाबी तैनाती करने में सक्षम थे।