RSS की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे सरकारी कर्मचारी, जानें इस पर पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

Update: 2024-07-22 08:04 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा दिया है‌। अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे। सरकार के इस फैसले के बाद पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी शुरू हो गई है। एक तरफ सत्ता पक्ष सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रही है तो वहीं विपक्ष सवाल उठा रहे हैं। बता दें कि फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था।

सरकार के इस फैसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।

वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सवाल उठाया है। मायावती ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो। सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं। ऐसे में यह निर्णय अनुचित, तुरन्त वापस हो।

शिवसेना(UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि पहले ईडी, सीबीआई, आईटी सब खाकी का काम कर रहे थे खाकी शॉर्ट्स पहन कर काम कर रहे थे। अब खुले आम बोल पाएंगे। कितनी शर्मनाक बात है कि आज हमारे नौकरशाह जिनको भारत माता के लिए काम करना चाहिए और सरकार को इसे बढ़ावा देना चाहिए अब वो अपने विचारधारा को आगे रख काम करेंगे ये शर्मनाक है।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मुझे ये आरएसएस-बीजेपी की जुगल बंदी लगती है। कुछ दिन पहले जो मोहन भागवत ने टिप्पणी कि उसको लेकर उनकी नाराजगी को खत्म करने के लिए आज भाजपा सरकार इस प्रकार का निर्णय ले रही है। आज यूपीएससी, एनटीए की दुर्दशा इसलिए है क्योंकि आरएसएस के लोग सरकार के हर वर्ग में घुस रहे हैं।

उधर, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि यह देश के लिए स्वागत योग्य कदम है और कांग्रेस तो हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है। आरएसएस इस दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जिसने देश के लिए हमेशा त्याग और बलिदान किया और अपनी भूमिका निभाई है।

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